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श्री धन्वन्तरि अष्टोत्तर शतनामावली

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॥ श्री धन्वन्तरि अष्टोत्तर शतनामावली ॥

ॐ धन्वन्तरये नमः ।
ॐ सुधापूर्णकलशाढ्यकराय नमः ।
ॐ हरये नमः ।
ॐ जरामृतित्रस्तदेवप्रार्थनासाधकाय नमः ।
ॐ प्रभवे नमः ।
ॐ निर्विकल्पाय नमः ।
ॐ निस्समानाय नमः ।
ॐ मन्दस्मितमुखाम्बुजाय नमः ।
ॐ आञ्जनेयप्रापिताद्रये नमः ।
ॐ पार्श्वस्थविनतासुताय नमः ।
ॐ निमग्नमन्दरधराय नमः ।
ॐ कूर्मरूपिणे नमः ।
ॐ बृहत्तनवे नमः ।
ॐ नीलकुंचितकेशान्ताय नमः ।
ॐ परमाद्भुतरूपधृते नमः ।
ॐ कटाक्षवीक्षणाश्वस्तवासुकाय नमः ।
ॐ सिंहविक्रमाय नमः ।
ॐ स्मर्तृहृद्रोगहरणाय नमः ।
ॐ महाविष्ण्वंशसंभवाय नमः ।
ॐ प्रेक्षनीयोत्पलश्यामाय नमः । 20 ।

ॐ आयुर्वेदाधिदैवताय नमः ।
ॐ भेषजग्रहणानेहस्मरणीयपदाम्बुजाय नमः ।
ॐ नवयौवनसंपन्नाय नमः ।
ॐ किरीटान्वितमस्तकाय नमः ।
ॐ नक्रकुण्डलसंशोभिश्रवणद्वयशष्कुलाय नमः ।
ॐ दीर्घपीवरदोरदण्डाय नमः ।
ॐ कंबुग्रीवाय नमः ।
ॐ अम्बुजेक्षणाय नमः ।
ॐ चतुर्भुजाय नमः ।
ॐ शंखधराय नमः ।
ॐ चक्रहस्ताय नमः ।
ॐ वरप्रदाय नमः ।
ॐ सुधापात्रे परिलसदाम्रपत्त्रलसत्कराय नमः ।
ॐ शतपद्याढ्यहस्ताय नमः ।
ॐ कस्तूरीतिलकाञ्चिताय नमः ।
ॐ सुकपोलाय नमः ।
ॐ सुनासाय नमः ।
ॐ सुन्दरभ्रूलतान्चिताय नमः ।
ॐ स्वाङ्गुलितलशोभाढ्याय नमः ।
ॐ गुह्यजात्रवे नमः । 40 ।

ॐ महाहनवे नमः ।
ॐ दिव्याङ्गदलसद्बाहवे नमः ।
ॐ केयूरपरिशोभिताय नमः ।
ॐ विचित्ररत्नखचितवलयद्वयशोभिताय नमः ।
ॐ समोल्लासत्सुजातांसाय नमः ।
ॐ अंगुलीयविभूषिताय नमः ।
ॐ सुधागन्धरसास्वादमीलद्भृङ्गमनोहराय नमः ।
ॐ लक्ष्मीसमार्पितोत्फुल्लकञ्जमालालसद्गलाय नमः ।
ॐ लक्ष्मीशोभितवक्षस्काय नमः ।
ॐ वनमालाविराजिताय नमः ।
ॐ नवरत्नमणिक्लृप्तहारशोभितकन्धराय नमः ।
ॐ हीरकक्षत्रमालादिशोभारञ्जितदिङ्मुखाय नमः ।
ॐ विरजोऽम्बरसंविताय नमः ।
ॐ विशालोरसे नमः ।
ॐ पृथुश्रवसे नमः ।
ॐ निम्ननाभये नमः ।
ॐ सूक्ष्ममध्याय नमः ।
ॐ स्थूलजङ्घाय नमः ।
ॐ निरञ्जनाय नमः ।
ॐ सुलक्षणपदाङ्गुष्ठाय नमः । 60 ।

ॐ सर्वसामुद्रिकान्विताय नमः ।
ॐ अलक्तकारक्तपादाय नमः ।
ॐ मूर्तिमद्वर्धिपूजिताय नमः ।
ॐ सुधार्थान्योन्यसंयुद्धदेत्यदैत्यसान्त्वनाय नमः ।
ॐ कोटिमन्मथसंकाशाय नमः ।
ॐ सर्ववयवसुन्दराय नमः ।
ॐ अमृतस्वादन उद्युक्तदेवसङ्घपरिष्टुताय नमः ।
ॐ पुष्पवर्षणसंयुक्तगन्धर्वकुलसेविताय नमः ।
ॐ शंखतूर्यमृदंगादिसुवादित्राप्सरोवृताय नमः ।
ॐ विश्वक्षेणादियुक्तपार्श्वाय नमः ।
ॐ सनकादिमुनिस्तुताय नमः ।
ॐ साश्चर्यसस्मितचतुर्मुखनेत्रसमीक्षिताय नमः ।
ॐ सशांकाश सम्भ्रमदितिदनुवंश्यसमीदिताय नमः ।
ॐ नमनोनमुखदेवािमौलिरत्नलसत्पदाय नमः ।
ॐ दिव्यतेजःपुंजरूपाय नमः ।
ॐ सर्वदेवहितोत्सुकाय नमः ।
ॐ स्वनिर्गमाक्षुब्धदुग्धवाराशये नमः ।
ॐ दुन्दुभिस्वनाय नमः ।
ॐ गंधर्वगीतापनश्रवणोत्कमहामनसे नमः ।
ॐ निष्किञ्चनजनप्रीताय नमः । 80 ।

ॐ भवसंप्राप्तरोगहृते नमः ।
ॐ अंतरहितसुधापात्राय नमः ।
ॐ महात्मने नमः ।
ॐ मायिकाग्रण्यै नमः ।
ॐ क्षणार्धमोहिनीरूपाय नमः ।
ॐ सर्वस्त्रीशुभलक्षणाय नमः ।
ॐ मदमत्तैभगमनाय नमः ।
ॐ सर्वलोकविमोहनाय नमः ।
ॐ श्रंसन्निवीग्रंथि बंधासक्त दिव्यकराङ्गुलये नमः ।
ॐ रत्नदर्विलसद्धस्ताय नमः ।
ॐ देवदैत्यवादिभागकृते नमः ।
ॐ संख्यातदेवतान्यासाय नमः ।
ॐ दैत्यदानववञ्चकाय नमः ।
ॐ देवामृतप्रदात्रे नमः ।
ॐ परिवेशनहृष्टधिये नमः ।
ॐ उन्मुखोन्मुखदैत्येन्द्रदन्तपंक्तिविभाजकाय नमः ।
ॐ पुष्पवत्सुविनिर्दिष्टराहुरक्षःशिरोहराय नमः ।
ॐ राहुकेतुग्रहस्थानपश्चाद्गतिविधायकाय नमः ।
ॐ अमृतलाभनिर्विण्णायुध्यद्देवेरिसुदनाय नमः ।
ॐ गरुडध्वजरूढाय नमः । 100 ।

ॐ सर्वेशस्तोत्रसंयुक्ताय नमः ।
ॐ स्वस्वाधिकारसंतुष्टशक्रवाह्न्यादिपूजिताय नमः ।
ॐ मोहिनीदर्शनायातस्थाणुचित्तविमोहकाय नमः ।
ॐ सचीश्वरादिदिक्पालपत्नीमण्डलसंस्तुताय नमः ।
ॐ वेदान्तवेद्यमहिम्ने नमः ।
ॐ सर्वलोकैक रक्षकाय नमः ।
ॐ राजराजप्रपूज्याङ्घ्रये नमः ।
ॐ चिन्तितार्थप्रदायकाय नमः । 108 ।

॥ श्री धन्वन्तरि अष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्णा ॥

श्री धन्वन्तरि अष्टोत्तर शतनामावली के बारे में

श्री धन्वंतरी अष्टोत्तर शतनामावली 108 दिव्य नामों वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जो आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरी को समर्पित है। उन्हें समुद्र मंथन के दौरान प्रकट होने वाले दिव्य चिकित्सक के रूप में पूजा जाता है और स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगों के निवारण के लिए आह्वान किया जाता है।

अर्थ

इस स्तोत्र के प्रत्येक नाम भगवान धन्वंतरी के उपचारात्मक गुणों, करुणा, ज्ञान और जीवन एवं स्वास्थ्य के संरक्षण में उनकी भूमिका को दर्शाते हैं। इन नामों के जाप से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए उनकी कृपा प्राप्त होती है।

लाभ

  • चिकित्सा और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है
  • रोगों और बीमारियों को दूर करता है
  • जीवन शक्ति और दीर्घायु बढ़ाता है
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है
  • आध्यात्मिक और मानसिक कल्याण का समर्थन करता है

महत्व

श्री धन्वंतरी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ स्वास्थ्य से संबंधित अनुष्ठानों और दिव्य चिकित्सक को समर्पित त्योहारों के दौरान अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे रोगों के उपचार और समग्र कल्याण प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र माना जाता है।

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