राहु अष्टोत्तर शतनामावली - 108 नाम
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ॐ राहवे नमः।
ॐ सैंहिकेयाय नमः।
ॐ विधुन्तुदाय नमः।
ॐ सुरशत्रवे नमः।
ॐ तमसे नमः।
ॐ फणिने नमः।
ॐ गर्गायणाय नमः।
ॐ सुरागवे नमः।
ॐ नीलजीमूतसंकाशाय नमः॥ 9॥
ॐ चतुर्भुजाय नमः।
ॐ खड्गखेटकधारिणे नमः।
ॐ वरदायकहस्तकाय नमः।
ॐ शूलायुधाय नमः।
ॐ मेघवर्णाय नमः।
ॐ कृष्णध्वजपताकवते नमः।
ॐ दक्षिणाशामुखरताय नमः।
ॐ तीक्ष्णदम्ष्ट्रधाराय नमः।
ॐ शूर्पाकारासनस्थाय नमः॥ 18॥
ॐ गोमेदाभरणप्रियाय नमः।
ॐ माषप्रियाय नमः।
ॐ कश्यपर्षिनंदनाय नमः।
ॐ भुजगेश्वराय नमः।
ॐ उल्कापातजनये नमः।
ॐ शूलिने नमः।
ॐ निधिपाय नमः।
ॐ कृष्णसर्पराजे नमः।
ॐ विषज्वालावृत्तास्याय नमः॥ 27
ॐ अर्धशरीराय नमः।
ॐ जाड्यसम्प्रदाय नमः।
ॐ रविन्दुभीकराय नमः।
ॐ छायास्वरूपिणे नमः।
ॐ कठिनांगकाय नमः।
ॐ द्विषचक्रच्छेदकाय नमः।
ॐ करालास्याय नमः।
ॐ भयंकराय नमः।
ॐ क्रूरकर्मणे नमः॥ 36
ॐ तमोरूपाय नमः।
ॐ श्यामात्मने नमः।
ॐ नीललोहिताय नमः।
ॐ किरीटिने नमः।
ॐ नीलवसनाय नमः।
ॐ शनिसामंतवर्तमगाय नमः।
ॐ चाण्डावर्णाय नमः।
ॐ अश्वयर्क्षभावाय नमः।
ॐ मेषभावाय नमः॥ 45
ॐ शनिवत्फलदाय नमः।
ॐ शूराय नमः।
ॐ अपसव्यगतये नमः।
ॐ उपरागकराय नमः।
ॐ सूर्यहिमांशुच्छविहारकाय नमः।
ॐ नीलपुष्पविहाराय नमः।
ॐ ग्रहश्रेष्ठाय नमः।
ॐ अष्टमग्रहाय नमः।
ॐ कबन्धमात्रदेहाय नमः॥ 54
ॐ यातुधानकुलोद्भवाय नमः।
ॐ गोविन्दवरपात्राय नमः।
ॐ देवजातिप्रविश्टकाय नमः।
ॐ क्रूराय नमः।
ॐ घोराय नमः।
ॐ शनैरित्राय नमः।
ॐ शुक्रमित्राय नमः।
ॐ अगोचाराय नमः।
ॐ माने गंगास्नानदात्रे नमः॥ 63
ॐ स्वगृहे प्रबलाढ्यकाय नमः।
ॐ सदगृहेऽन्यबलधृते नमः।
ॐ चतुर्थे मातृनाशकाय नमः।
ॐ चन्द्रयुक्ते चण्डालजनम्सूचकाय नमः।
ॐ जन्मसिंहे नमः।
ॐ राज्यदात्रे नमः।
ॐ महाकायाय नमः।
ॐ जन्मकर्त्रे नमः।
ॐ विधुरिपवे नमः॥ 72
ॐ मत्तको ज्ञानदाय नमः।
ॐ जन्मकन्याराज्यदात्रे नमः।
ॐ जन्महानिदाय नमः।
ॐ नवमे पितृहन्त्रे नमः।
ॐ पञ्चमे शोकदायकाय नमः।
ॐ द्यूनै कलत्रहन्त्रे नमः।
ॐ सप्तमे कलहप्रदाय नमः।
ॐ षष्ठे वित्तदात्रे नमः।
ॐ चतुर्थे वैरदायकाय नमः॥ 81
ॐ नवमे पापदात्रे नमः।
ॐ दशमे शोकदायकाय नमः।
ॐ आदौ यशः प्रदात्रे नमः।
ॐ अन्ते वैरप्रदायकाय नमः।
ॐ कालात्मने नमः।
ॐ गोचाराचाराय नमः।
ॐ धनैककुटप्रदात्रे नमः।
ॐ पञ्चमे धृषणाशृङ्गदाय नमः।
ॐ स्वरभाने नमः॥ 90
ॐ बलिने नमः।
ॐ महासौख्यप्रदायिने नमः।
ॐ चन्द्रवैरीणे नमः।
ॐ शाश्वताय नमः।
ॐ सुरशत्रवे नमः।
ॐ पापग्रहाय नमः।
ॐ शम्भवाय नमः।
ॐ पूज्याकाय नमः।
ॐ पाटीणपुराणाय नमः॥ 99
ॐ पैठीनसकुलोद्भवाय नमः।
ॐ दीर्घकृष्णाय नमः।
ॐ अशिरे नमः।
ॐ विष्णुनेत्राराय नमः।
ॐ देवाय नमः।
ॐ दानवाय नमः।
ॐ भक्तरक्षाय नमः।
ॐ राहुमूर्तये नमः।
ॐ सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः॥ 108॥
इति श्री राहु अष्टोत्तर शतनामावली॥
राहु अष्टोत्तर शतनामावली - 108 नाम के बारे में
राहु अष्टोत्तर शतनामावली 108 दिव्य नामों वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जो वैदिक ज्योतिष में एक खगोलीय ग्रह राहु का प्रतिनिधित्व करता है। राहु को एक शक्तिशाली ग्रह माना जाता है जो भौतिक इच्छाओं, माया और परिवर्तन को नियंत्रित करता है।
अर्थ
यह स्तोत्र राहु के विभिन्न गुणों की स्तुति करता है जैसे बाधाओं को दूर करना, माया का नियंत्रण और कर्म का परिवर्तन करना। इन नामों के पाठ से दुखों का नाश, नकारात्मक प्रभावों की समाप्ति और सुरक्षा तथा आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त होती है।
लाभ
- दुख और कष्ट दूर करता है
- नकारात्मक ग्रह प्रभावों से रक्षा करता है
- आध्यात्मिक मुक्ति और ज्ञान प्रदान करता है
- इच्छाएं पूरी करता है और समृद्धि लाता है
- चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दौरान सुरक्षा प्रदान करता है
महत्व
राहु अष्टोत्तर शतनामावली का जाप राहु की कृपा पाने और कुंडली में राहु से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसे राहु संबंधी बाधाओं को पार करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है।