अन्नप्राशन पूजा, जिसे 'चावल खाने की पहली रस्म' भी कहा जाता है, नवजात शिशु के जीवन में गर्व और खुशी का महत्वपूर्ण Hindu संस्कार है। यह पूजा बच्चे के छठे से सातवें महीने के बीच की जाती है, जिसमें बच्चे को पहली बार ठोस आहार दिया जाता है। इस अवसर पर माता-पिता बच्चे के उज्जवल और स्वस्थ भविष्य की कामना करते हैं।
पूजा के दौरान, बच्चे को पहली बार खीर या चावल खिलाया जाता है, जिसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इस दौरान विभिन्न मंत्रों की उच्चारण के साथ देवताओं की पूजा की जाती है। पूजा के पश्चात बच्चे को विभिन्न वस्तुएं जैसे पेन, रुपये, किताब आदि दी जाती हैं, जिससे कहा जाता है कि जो वस्तु बच्चे के हाथ लगेगी वही उसका भविष्य का रुचि क्षेत्र होगा।
इस अनुष्ठान में आवश्यक वस्तुओं में खीर, फूल, दीपक, धूप, जल, और पारंपरिक चांदी या पीतल के बर्तन शामिल होते हैं। परिवार के सदस्य बच्चे को आशीर्वाद देते हैं और प्रसाद का वितरण किया जाता है। यह समारोह परिवार के लिए बहुत महत्व रखता है और हिंदू संस्कृति में यह संस्कार बच्चे के विकास की दिशा में एक विशेष कदम माना जाता है।
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