श्री बृहस्पति कवचम्
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अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्तोत्रमन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः | अनुष्ठुप् छन्दः | बृहस्पतिर्रेव्यताया | अं बीजं | श्रीं शक्तिः | क्लीं कीलिकं | मम बृहस्पतिप्रसादसिद्धार्थे जपयिनीयोगः |
करणन्यासः ||
गां अंगुष्ठाभ्यां नमः | गीं तर्जनिब्यां नमः | गूं मध्यामाभ्यां नमः | गैं अनामिकाभ्यां नमः | गौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः | गः करतालकरप्रुष्ठाभ्यां नमः ||
आंगन्यासः ||
गां हृदयाय नमः | गीं सिरसे स्वाहा | गूं शिखायै वषट् | गैं कवचाय हुम् | गौं नेत्रत्रयाय वैषट् | गः अस्त्राय फट् | भूर्भुवः स्वरोमिति दिश्बन्धः ||
ध्यानम्
तप्तकाञ्चनवर्णाभं चतुर्भुजसामन्वितं
दण्डाक्षसूत्रमालां च कमण्डलुवरान्वितम् |
पीताम्बरधराम् देवं पीतगन्धानुलेपनम्
पुष्परागमयं भूष्णुं विचित्रमकूटोज्ज्वलम् ||
स्वर्णाश्वरथमारूढं पीतध्वजसुशोभितं | मेरुं प्रदक्षिणं कृत्वा गुरुदेवं समर्चयेत् ||
अभीष्टवरदं देवं सर्वज्ञं सुरपूजितम् |
सर्वकार्यार्थसिद्धार्थं प्रणमामि गुरुं सदा ||
कवचम्
बृहस्पतिः सिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः |
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभिष्टदायकः || १ ||
नासं पातु सुराचार्यः जिव्हां मे वेदपारगः | मुखं मे पातु सर्वज्ञो भुजौ पातु शुभप्रदः || २ ||
करौ वज्रधरो पातु वक्षः मे पातु गीष्पति | स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्सिं मे शुभलक्ष्णः || ३ ||
नाभिं पातु सुनीतिज्ञः कटीं मे पातु सर्वदा | उरुं मे पातु पुण्यात्मा जङ्घे मे ज्ञानदः प्रभुः || ४ ||
पादौ मे पातु विश्वात्मा सर्वाङ्गं सर्वदा गुरुः | य इदं कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यसु पठेन्नरः || ५ ||
सर्वांछकांमांनवाप्नोति सर्वत्र विजयī भवेत् | सर्वत्र पूज्यो भवति वाक्पतिश्च प्रसादतः || ६ ||
इति ब्रह्मवैवर्तपुराणे उत्तरखण्डे बृहस्पतिकवचः |
श्री बृहस्पति कवचम् के बारे में
श्री बृहस्पति कवच भगवान बृहस्पति को समर्पित एक रक्षक स्तोत्र है, जो ग्रहों के गुरु और ज्ञान व बुद्धि के प्रतीक हैं। उन्हें देवताओं के गुरु के रूप में पूजा जाता है और वे शिक्षा, विकास और आध्यात्मिक विस्तार के स्त्रोत हैं। यह कवच ग्रह दोषों, शिक्षा, रोजगार और संतान संबंधित बाधाओं से मुक्ति के लिए आशीर्वाद मांगता है।
अर्थ
यह स्तोत्र बृहस्पति को सभी देवताओं में सबसे ज्ञानी, पीले वस्त्र धारण किये हुए, कमल पर विराजमान, डंडा और पुस्तक धारण किए हुए दर्शाता है। इस कवच का नियमित पाठ सरकारी नौकरी, शिक्षा, विवाह, विलंबों का निवारण तथा रोगों और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
लाभ
- नकारात्मक ग्रह प्रभाव और दोष दूर करता है
- शिक्षा, करियर और सरकारी नौकरी में सफलता लाता है
- विवाह में विलंब और संतान संबंधित समस्याओं को खत्म करता है
- रोगों, शत्रुओं और आर्थिक समस्या से सुरक्षा करता है
- ज्ञान, आध्यात्मिक विकास और समृद्धि बढ़ाता है
महत्व
श्री बृहस्पति कवच का विशेष रूप से गुरुवार के दिन जाप किया जाता है, जो गुरु/बृहस्पति को समर्पित होता है, ताकि दिव्य गुरु का सम्मान किया जा सके एवं शिक्षा, कैरियर, पारिवारिक सद्भाव और समग्र कल्याण के लिए उनकी कृपा प्राप्त की जा सके।