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कात्यायनी देवी कवच

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कात्यायनमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी॥
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥

कात्यायनी देवी कवच के बारे में

कात्यायनी देवी कवच एक रक्षक मंत्र और स्तोत्र है जो देवी कात्यायनी को समर्पित है, जो दुर्गा का उग्र और करुणामयी रूप हैं। यह कवच सुरक्षा, बाधा निवारण, वैवाहिक सुख-शांति और कल्याण हेतु विशेष रूप से पढ़ा जाता है। इसे नकारात्मक ऊर्जाओं, ग्रह दोष और जटिल रोगों से सुरक्षा के लिए नियमित रूप से जपने की परंपरा है।

अर्थ

कवच देवी कात्यायनी से प्रार्थना करता है कि वे महिषासुर-मर्दिनी, तेजस्विनी, सिंह पर सवार, शस्त्र और कमल धारण करने वाली दयालु मां के रूप में भक्तों को विजय व सुरक्षा दें। इसमें देवी से सभी अंगों और जीवन के हर पहलू की रक्षा करने, विवाह के अड़चनें या कलह दूर करने, लंबित विवाह में मार्ग प्रशस्त करने तथा भक्त को शक्ति, साहस और समृद्धि का आशीर्वाद देने की प्रार्थना की जाती है।

लाभ

  • नकारात्मक ऊर्जा व ग्रह दोष दूर करता है
  • बीमारियों, भय व विपत्ति से रक्षा करता है
  • वैवाहिक जीवन की परेशानियाँ व विलंब दूर करता है
  • संबंधों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है
  • आंतरिक शक्ति, साहस और भावनात्मक उपचार में सहायक

महत्व

कात्यायनी देवी कवच का जाप खासतौर पर नवरात्रि और वैवाहिक, स्वास्थ्य या संबंधी समस्याओं से परेशान भक्तों में लोकप्रिय है। इसका नियमित पाठ घर में पवित्रता, देवी की महाशक्ति और सुरक्षा को बुलाता है, जिससे दांपत्य सुख, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है।

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