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शारदीय नवरात्रि 2026 – मां दुर्गा की आराधना के नौ दिन

तारीख़: ११ अक्टूबर २०२६

पूरी तारीख

११ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:१९ बजे २० अक्टूबर २०२६ दोपहर ४:३० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • घटस्थापना व शैलपुत्री पूजा

    घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा का आयोजन ११ अक्टूबर २०२६ की सुबह, नवरात्रि के पहले दिन होता है।

    ११ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:१९ बजे ११ अक्टूबर २०२६ सुबह १०:१२ बजे

  • दुर्गाष्टमी व महानवमी

    मुख्य आयोजनों में दुर्गाष्टमी (१८ अक्टूबर) और महानवमी (१९ अक्टूबर) हैं, जब घर-मंदिरों में भव्य पूजा व कन्या पूजन होता है।

    १८ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:०० बजे १९ अक्टूबर २०२६ दोपहर ४:०० बजे

  • विजयादशमी (दशहरा)

    शारदीय नवरात्रि का समापन २० अक्टूबर २०२६ को विजयादशमी पर होता है, जिसमें मां दुर्गा की विजय और रावण दहन के प्रतीक पर्व मनाया जाता है।

    २० अक्टूबर २०२६ दोपहर १:०० बजे २० अक्टूबर २०२६ दोपहर ४:३० बजे

परिचय

शारदीय नवरात्रि, जिसे महानवरात्रि भी कहा जाता है, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण नौ दिनों का उत्सव है। यह पर्व शरद ऋतु (आश्विन मास) में मनाया जाता है, जिसमें देशभर में पूजा, संगीत, नृत्य और उपवास का विशेष महत्व है।

अन्य नाम

महानवरात्रि, दुर्गा पूजा, नवरात्र, आश्विन नवरात्रि

पूजा विधि

  • पूजा स्थल की सफाई कर पवित्र जल व जौ के साथ कलश स्थापित करें।
  • मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र को फूल-हार से सजाएँ।
  • रोली, चावल, नारियल और फल प्रतिदिन अर्पित करें।
  • प्रातः-सायं आरती करें, दुर्गा भजन गाएं।
  • अष्टमी/नवमी को विशिष्ट भोग चढ़ाएं, कन्या पूजन करें।

अनुष्ठान

  • पहले दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) से पर्व का शुभारंभ होता है।
  • हर दिन मां दुर्गा के एक खास रूप की पूजा की जाती है – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा आदि।
  • भक्त उपवास रखते हैं, प्रतिदिन आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
  • हर दिन का अलग भोग/प्रसाद होता है।
  • घर-मंदिरों में दीप, फूल और रंगोली से सजावट होती है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • बंगाल में दुर्गा पूजा के पंडाल, शोभायात्रा और सांस्कृतिक उत्सव होते हैं।
  • गुजरात-महाराष्ट्र में प्रतिदिन गरबा, डांडिया रास व नृत्यों का आयोजन होता है।
  • दक्षिण भारत में कोलु (गुड़िया सजावट) व सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • अनेक राज्यों में नौ दिन तक मेले, प्रवचन और सामूहिक भोज आयोजित होते हैं।

इतिहास

कहानी है कि मां दुर्गा ने नवरात्रि में महिषासुर राक्षस का वध कर धर्म की रक्षा की। रामायण और महाभारत में भी भगवान राम और श्रीकृष्ण द्वारा युद्ध से पूर्व दुर्गा पूजा का वर्णन है। शारदीय नवरात्रि का समापन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

अतिरिक्त जानकारी

  • शारदीय नवरात्रि पाँचों नवरात्रों में सबसे शक्तिशाली मानी जाती है।
  • हर दिन का रंग व प्रसाद अलग होता है, विशेषकर महाराष्ट्र-गुजरात में।
  • नवरात्रि का व्रत स्वास्थ्य, अनुशासन और आध्यात्मिक उन्नति का कारक है।
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