नाग पंचमी २०२६
तारीख़: 17 अगस्त २०२६
पूरी तारीख
16 अगस्त २०२६ शाम ४:५२ बजे – 17 अगस्त २०२६ शाम ५:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
नाग पंचमी पूजा
भक्त सांपों से संबंधित विशेष अनुष्ठान और प्रार्थनाएं करते हैं।
17 अगस्त २०२६ सुबह ५:५० बजे – 17 अगस्त २०२६ सुबह ८:२८ बजे
परिचय
नाग पंचमी सांप देवताओं को सम्मानित करने के लिए मनाई जाती है, जहां स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सुरक्षा और आशीर्वाद मांगे जाते हैं। इस त्योहार में व्रत, पूजा और सांप की मूर्तियों को दूध चढ़ाना शामिल है।
अन्य नाम
नाग पंचमी, नाग व्रत, सांप त्योहार
पूजा विधि
- सुबह जल्दी नाग देवताओं की पूजा से शुरुआत करें।
- दूध और फूल अर्पित करें और नाग मंत्रों का जाप करें।
- दीप जलाकर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
- सांप से जुड़े खतरों से सुरक्षा के लिए अनुष्ठान समाप्त करें।
अनुष्ठान
- पंचमी तिथि पर नाग देवताओं को व्रत और पूजा।
- सांप की मूर्तियों को दूध, फूल और हल्दी अर्पित करना।
- गोबर से दीवारों और घर के दरवाजे पर सांप के चित्र बनाना।
- सांप पूजा करना, मंत्र पढ़ना और दीप जलाना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है, विशेष रूप से मानसून के मौसम में।
- ग्रामीण और कृषि समुदायों में सांप के काटने से सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण।
- भगवान कृष्ण और अन्य हिंदू देवताओं की कथाओं से जुड़ा हुआ।
इतिहास
यह त्योहार हिंदू पुराणों में सांपों को शक्ति, परिवर्तन और सुरक्षा का प्रतीक मानते हुए मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण की सांप कालिया पर जीत और नाग देवताओं के महत्व का स्मरण है।
अतिरिक्त जानकारी
- नाग पंचमी एक प्रकृति पूजा उत्सव है जो जीव-जंतुओं के साथ सहअस्तित्व पर बल देता है।
- कई समुदाय परिवार और सामुदायिक कल्याण के लिए सांप संबंधित अनुष्ठान करते हैं।
- यह त्योहार मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
भाषा बदलें:
