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हरियाली तीज २०२६ – वर्षा, वैवाहिक कल्याण और नारी उत्सव का पर्व

तारीख़: १५ अगस्त २०२६

पूरी तारीख

१५ अगस्त २०२६ सुबह (सूर्योदय के बाद) १५ अगस्त २०२६ शाम (रात्रि अनुष्ठान तक)

मुहूर्त समय भारत में

  • सामुदायिक तीज-सभा व झूलों का उत्सव

    स्थानीय महिला-समूह तीज-सभाएँ आयोजित करते हैं जहाँ झूलों को सजाया जाता है, भजन होते हैं और लोक-नृत्य व गीतों के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

    १५ अगस्त २०२६ सुबह से शाम तक १५ अगस्त २०२६ शाम (समापन अनुष्ठान)

परिचय

हरियाली तीज एक जीवंत वर्षा-उत्सव है जिसे मुख्यतः उत्तर व मध्य भारत में महिलाएँ मनाती हैं। यह भगवान शिव व देवी पार्वती के मिलन का उत्सव है, वर्षाजनित हरियाली व सूखद सौभाग्य व वैवाहिक सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

अन्य नाम

हरियाली तीज, तीज (श्रावण तृतीया)

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-पारंपरिक कपड़े पहनें (समान्यतः हरा रंग पसंद किया जाता है)।
  • पूजा थाली में फूल, अगरबत्ती, मिठाई, फल और पार्वती-शिव की छोटी प्रतिमा/छवि रखें।
  • मेहंदी लगाएं, हाथ-पैर सजाएँ और पारंपरिक तीज भजन गाते हुए आरती करें।
  • पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें (या अच्छे वर की कामना करें), शाम के अनुष्ठानों के बाद परिवार की परंपरा के अनुसार व्रत खोलें।
  • प्रसाद बाँटें और रिश्तेदारों/पड़ोसियों के यहाँ जाकर आशीर्वाद व सामाजिक आदान-प्रदान करें।

अनुष्ठान

  • विवाहित महिलाएँ अपने पतियों की लंबी आयु व कल्याण के लिए पूरा दिन उपवास रखती हैं; अविवाहित महिलाएँ अच्छे जीवन-साथी की कामना हेतु व्रत रखती हैं।
  • महिलाएँ हरे या चमकीले वस्त्र पहनती हैं, हाथों पर मेहँदी लगाती हैं और कंगन-आभूषण पहनती हैं।
  • पेड़ों से सजाए गए झूलों (झूले) पर झूलना और लोक तीज-गीत गाना उत्सव का आनंददायक भाग है।
  • मंदिर दर्शन, पार्वती-शिव पूजा करना, फूल, मिठाई व प्रार्थना अर्पित करना सामाजिक व पारिवारिक रूप से किया जाता है।
  • विशेष पर्व भोजन बनाना और मित्र/परिवार के साथ प्रसाद व मीठा बाँटना प्रचलित है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • हरियाली तीज राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व हरियाणा में विशेष लोकप्रिय है जहाँ क्षेत्रीय गीत व परंपराएँ प्रचलित हैं।
  • राजस्थान में उत्सव में भव्य झूले व तीज जुलूस होते हैं; उत्तर प्रदेश व बिहार में सामुदायिक मिलन व विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
  • शहरी क्षेत्रों में सांस्कृतिक संस्थाएँ व मंदिर सार्वजनिक तीज-कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिससे विभिन्न पृष्ठभूमि की महिलाएँ एकत्रित होती हैं।

इतिहास

तीज त्योहारों की जड़ें प्राचीन हिंदू परंपरा में हैं, जो ऋतु-चक्रों व दैवीय मिलनों का उत्सव हैं। हरियाली तीज विशेष रूप से पार्वती की तपस्या व शिव के साथ उनके मिलन से जुड़ी कथाओं से संबंधित है और यह भक्ति, वैवाहिक आशीर्वाद व मानसून में भूमि-समृद्धि का संकेत देती है।

अतिरिक्त जानकारी

  • हरियाली तीज मानसून की बहाली व हरियाली का जश्न मनाता है — ‘हरियाली’ नाम ही हरितता व नई वृद्धि का सूचक है।
  • यह तीन प्रमुख तीज-त्योहारों (हरतालिका तीज, कजरी/कामरिया तीज और हरियाली तीज) में से एक है जो उत्तर भारत में थोड़ी-थोड़ी भिन्न कथाओं व प्रथाओं के साथ मनाई जाती है।
  • यदि आप स्थानीय पृष्ठ प्रकाशित करते हैं तो क्षेत्रीय तीज-भजन, मेहँदी डिज़ाइन और झूला-सजावट सुझाव जोड़ने से जुड़ाव बढ़ सकता है।
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