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दशहरा विजयादशमी 2026 – बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव

तारीख़: २० अक्टूबर २०२६

पूरी तारीख

२० अक्टूबर २०२६ दोपहर १:०० बजे २० अक्टूबर २०२६ दोपहर २:०० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • शामि पूजा

    20 अक्टूबर 2026 को शामि पूजा में विजय और समृद्धि के प्रतीक के रूप में शामि के पत्तों की पूजा होती है।

    २० अक्टूबर २०२६ सुबह ९:०० बजे २० अक्टूबर २०२६ शाम ५:०० बजे

  • रामलीला मंचन

    विजयादशमी से पहले रामायण के प्रसंग समुदाय में रामलीला के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, जो राम की रावण पर विजय के साथ समाप्त होते हैं।

    १० अक्टूबर २०२६ शाम ६:०० बजे २० अक्टूबर २०२६ रात १०:०० बजे

  • पुतला दहन और दुर्गा विसर्जन

    विजयादशमी की दोपहर को रावण के भव्य पुतले जलाए जाते हैं और दुर्गा की मूर्ति का जल में विसर्जन होता है।

    २० अक्टूबर २०२६ दोपहर २:०० बजे २० अक्टूबर २०२६ शाम ६:०० बजे

परिचय

विजयादशमी, जिसे दशहरा या दसर भी कहते हैं, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो दैवीय शक्तियों द्वारा बुराई की हार को मनाता है। यह भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय और नए आरंभ का संदेश देता है।

अन्य नाम

दशहरा, दसर, विजया दशमी

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी शामि के शाखाएं लेकर शामि पूजा की तैयारी करें।
  • रामलीला के लिए स्थान सजाएँ और समुदाय के सदस्यों को आमंत्रित करें।
  • आयुध पूजा के लिए उपकरण साफ कर फूलों से सजाएँ।
  • शाम को पुतलों के जुलूस व आतिशबाजी का आयोजन करें।
  • पुतले जलाने के समय प्रार्थना करें और माता दुर्गा को विदा करें।

अनुष्ठान

  • शामि पूजा में शामि के पत्तों की पूजा कर उदारता और विजय का प्रतीक मनाएं।
  • रामायण की रामलीला प्रस्तुतियाँ देखें।
  • आयुध पूजा में उपकरणों, वाहन व साधनों की पूजा करें।
  • रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतलों के भव्य जुलूस में भाग लें।
  • रावण दहन व पानी में दुर्गा विसर्जन देखें।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • उत्तरी भारत में बड़े रामलीला मंचन और सार्वजनिक स्थानों पर रावण दहन होता है।
  • दक्षिण भारत में आयुध पूजा और युद्ध उपकरणों तथा कलाओं पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • पूर्वी भारत में विजयादशमी दुर्गा पूजा के समापन के रूप में मनाई जाती है, विशेषकर बंगाल में।
  • पश्चिमी राज्यों जैसे महाराष्ट्र में शामि पूजा और लोक नृत्य होते हैं।

इतिहास

इस पर्व की कथा में भगवान राम का लंका विजय और माता दुर्गा का महिषासुर पर युद्ध शामिल है। ये कहानियां धर्म, सत्य और दैवीय न्याय की जीत का प्रतीक हैं। विजयादशमी दस मानवीय दोषों के विनाश से जुड़ी है, जो आध्यात्मिक शुद्धि और नवजीवन का दिन है।

अतिरिक्त जानकारी

  • विजयादशमी धर्म और नैतिक मूल्यों की विजय का प्रतीक है।
  • यह त्योहार सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्म और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है।
  • दशहरा पूरे भारत में नौ दिवसीय नवरात्रि का समापन पर्व है।
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