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अनंत चतुर्दशी 2026 – विष्णु पूजन और गणेश विसर्जन

तारीख़: २५ सितंबर २०२६

पूरी तारीख

२५ सितंबर २०२६ सुबह ६:१० बजे २५ सितंबर २०२६ रात ११:०८ बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • अनंत चतुर्दशी पूजा

    25 सितंबर 2026 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 से रात 11:08 बजे तक रहेगा, जिसमें भक्त अनंत विष्णु की आराधना और सूत्र बंधन करते हैं।

    २५ सितंबर २०२६ सुबह ६:१० बजे २५ सितंबर २०२६ रात ११:०८ बजे

  • गणेश विसर्जन

    इसी दिन पूरे भारत में गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन करतें हुए गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

    २५ सितंबर २०२६ दोपहर ३:०० बजे २५ सितंबर २०२६ रात ८:०० बजे

परिचय

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की उपासना का दिन है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और यह अनंत विश्वास, निरंतरता और दिव्य संतुलन का प्रतीक है। भक्त इस दिन ‘अनंत सूत्र’ बाँधते हैं ताकि सुरक्षा और अनंत आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

अन्य नाम

अनंत चतुर्दशी, अनंत चौदस, अनंत पद्मनाभ व्रत

पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • सजे हुए आसन पर अनंत शयन मुद्रा में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • हल्दी, पुष्प, दूध, अनाज, सुपारी और पवित्र अनंत सूत्र अर्पित करें।
  • ‘ॐ अनंताय नमः’ मंत्र के साथ हाथ में सूत्र बाँधें।
  • आरती कर प्रसाद वितरण करें और गरीबों को भोजन कराएँ।

अनुष्ठान

  • भक्त घर की शुद्धि कर विष्णु भगवान की आदिशेष पर शयन करती हुई प्रतिमा स्थापित करते हैं।
  • ‘अनंत सूत्र’ (चौदह गांठों वाला धागा) को पवित्र किया जाता है और पुरुष दाएँ हाथ में तथा महिलाएँ बाएँ हाथ में बाँधती हैं।
  • 14 प्रकार के फल, फूल और अनाज अर्पित किए जाते हैं जो पवित्रता और पूर्णता के प्रतीक हैं।
  • विष्णु सहस्रनाम और अनंत पद्मनाभ कथा का पाठ श्रद्धा से किया जाता है।
  • चने की दाल और खीर का प्रसाद बनाकर भक्तों में वितरित किया जाता है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • महाराष्ट्र में यह दिन गणेश विसर्जन के रूप में भव्य शोभायात्राओं के साथ मनाया जाता है।
  • दक्षिण भारत में इसे अनंत पद्मनाभ व्रत के रूप में भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है।
  • जैन धर्म में यह दिन भगवान वासुपूज्य के निर्वाण दिवस और पर्युषण पर्व के समापन के रूप में मनाया जाता है।
  • उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में 14 प्रकार के अर्पण (अनाज, फल और फूल) का अनुष्ठान किया जाता है।

इतिहास

महाभारत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को चौदह वर्षों तक अनंत व्रत करने का उपदेश दिया जिससे वे अपना राज्य और शांति पुनः प्राप्त कर सके। सूत्र की 14 गांठें भगवान विष्णु द्वारा रचित 14 लोकों — भू, भुवः, स्वः आदि — का प्रतीक हैं। यह व्रत अनंत शक्ति और सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की भक्ति का प्रतीक है। इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है जिससे विष्णु और गणेश उपासना का अद्भुत संगम होता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • संख्या 14 पूर्णता का प्रतीक है और यह विष्णु के संरक्षण में स्थित 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करती है।
  • लगातार 14 वर्षों तक इस व्रत का पालन करने से दुख और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है।
  • यह पर्व दिव्यता, प्रकृति और मानवता के अनंत संबंध का प्रतीक है।
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