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अक्षय तृतीया 2026 - आखा तीज

तारीख़: १९ अप्रैल २०२६

पूरी तारीख

१९ अप्रैल २०२६ सुबह १०:४९ बजे २० अप्रैल २०२६ सुबह ७:२७ बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त

    पूजा और दान के लिए शुभ समय 19 अप्रैल 2026 (रविवार) को सुबह 10:49 से दोपहर 12:21 बजे तक रहेगा।

    १९ अप्रैल २०२६ सुबह १०:४९ बजे १९ अप्रैल २०२६ दोपहर १२:२१ बजे

  • परशुराम जयंती

    भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्मोत्सव भी इसी दिन मनाया जाता है।

    १९ अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे १९ अप्रैल २०२६ शाम ८:०० बजे

परिचय

अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज भी कहते हैं, हिंदू धर्म के सबसे शुभ व पवित्र दिनों में से एक है। वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाने वाला यह पर्व अनंत समृद्धि, सफलता और धर्मलाभ का प्रतीक है। 'अक्षय' का अर्थ होता है 'जो कभी क्षीण न हो', यानी जो स्थायी हो।

अन्य नाम

अखा तीज, वैशाख तृतीया, परशुराम जयंती

पूजा विधि

  • पूजा स्थल को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र से सजाएं।
  • घी का दीपक जलाएं और तुलसी पत्र, पुष्प, फल और चावल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी अष्टोत्तर और अक्षय तृतीया मंत्र का जाप करें।
  • आरती कर दूध या गुड़ से बने प्रसाद का वितरण करें।
  • अपनी क्षमता अनुसार अन्न या स्वर्ण का दान करें।

अनुष्ठान

  • प्रातः स्नान करें और नए, स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करें और समृद्धि की कामना करें।
  • पूजन के दौरान जौ, गेहूं, घी और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • 'अन्नदान' करें — गरीबों को भोजन, जल और वस्त्र दान करें, जो सर्वोत्तम दान माना गया है।
  • इस दिन सोना-चांदी खरीदना या नया कार्य प्रारंभ करना अति शुभ माना जाता है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • उत्तर भारत में भक्त उपवास रखकर घर और मंदिरों में विष्णु-लक्ष्मी पूजा करते हैं।
  • तमिलनाडु और कर्नाटक में यह दिन परशुराम जयंती और विशु समृद्धि अनुष्ठानों के रूप में मनाया जाता है।
  • ओडिशा और बंगाल में यह दिन कृषि प्रारंभ और दान-पुण्य के लिए शुभ माना जाता है।
  • राजस्थान और गुजरात में आखा तीज विवाह और नए निवेश के लिए सर्वोत्तम दिन माना जाता है।

इतिहास

हिंदू शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया अनेक दिव्य घटनाओं का प्रतीक है — यह भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्मदिन है, इसी दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ और वेदव्यास ने भगवान गणेश के सहयोग से महाभारत की रचना प्रारंभ की। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने पांडवों को 'अक्षय पात्र' प्रदान किया, जो असीम अन्न का प्रतीक था।

अतिरिक्त जानकारी

  • ‘अक्षय’ का अर्थ है जो कभी क्षीण न हो — इस दिन किए गए कर्म अनंत फलदायी होते हैं।
  • इस दिन सोना खरीदना या नया कार्य प्रारंभ करना अत्यंत शुभ और समृद्धि देने वाला माना जाता है।
  • यह दिन दान, व्रत और आत्मिक जागरण के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है।
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