श्री बालाजी हनुमत वीर आरती
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ॐ जय हनुमत वीर,
स्वामी जय हनुमत वीर ।
संकट मोचन स्वामी,
तुम हो रंधीर ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
पवन पुत्र अंजनी सुत,
महिमा अति भारी ।
दुःख दरिद्र मिटाओ,
संकट सब हरि ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
बाल समय में तुमने,
रवि को भक्ष लियो ।
देवों स्तुति कीन्ही,
तुरहीन चोर दियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
कपी सुग्रीव राम संग,
मैत्री करवाई ।
अभिमानी बाली मेट्यो,
कीर्ति रही छाई ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
जारी लंका सिये सुधि ले आये,
वाणर हर्षाये ।
कार्य कठिन सुधारें,
रघुvar मान भये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
शक्ति लगी लक्ष्मण को,
भारी सोच भयो ।
लाए संजीवनी बूटी,
दुःख सब दूर किये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
रामहि ले अहिरावन,
जब पाताल गए।
ताही मारी प्रभु ले,
जय जयकार भये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
रजत मेमदीपुर में,
दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनि चार,
मेला है जारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
श्री बालाजी की आरती,
जो कोई नर गावे।
कहते इन्द्र हर्षित,
मान वांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीर..॥
श्री बालाजी हनुमत वीर आरती के बारे में
श्री बालाजी हनुमान, जिन्हें संकट मोचन और रणधीरा कहा जाता है, उनकी आरती भक्तों को सभी कष्टों और भय से मुक्ति दिलाती है। यह आरती उनके बाल्यकाल से लेकर वीरता की महिमा का वर्णन करती है।
अर्थ
आरती में हनुमान जी के बाल्यकाल की लीलाओं, उनकी शक्तिशाली माया, राम के प्रति उनकी कटिबद्धता और दुष्टों का संहार करने वाले रूप का वर्णन है। यह भक्ति और साहस का संचार करती है।
लाभ
- संकटों और भय का नाश
- शारीरिक-मानसिक शक्ति और साहस
- जीवन में बाधाओं से मुक्ति
- भक्ति और सफलता की वृद्धि
महत्व
यह आरती मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से की जाती है। इससे भक्तों को हनुमान जी की कृपा मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।