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शुक्लांबरधरं विष्णुम् - श्री विष्णु स्तुति

शुक्लांबरधरं विष्णुं
शशिवर्णं चतुर्भुजम्,
प्रसन्न वदनं ध्यान्येथ
सर्व विघ्नो पशान्तये।

शान्ताकारणं भुजगशयनं
पद्मनाभं सुरेशम्,
विश्वधारं गगनसदृशं
मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मी कन्तं कमलनयनं
योगिभिर ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुम् भव भयहरं
सर्व लोकैकनाथम्।

औषधं चिन्तयेद् विष्णुम्
भोजनं च जनार्दनम्,
शयने पद्मनाभं च
विवाहे च प्रजापतिम्,
युद्धे चक्रधारं देवम्
प्रवासे च त्रिविक्रमम्।

नारायणं तनु त्यागे
श्रीधरं प्रिय संगमे,
दुष्वप्ने स्मरे गोविन्दं
संकटे माधुसूदनम्।

कानने नारसिंहं च
पवके जलसायिनं,
जलमध्यम् वराहं च
पर्वते रघुनन्दनम्,
गमने वामनं चैव
सर्व कार्येषु माधवम्।

शोडशैतेानि नामानि
प्रथुरुद्धया य: पठेत्त,
सर्वपापविनिर्मुक्तो
विष्णु लोकै महीयति।

शुक्लांबरधरं विष्णुम् - श्री विष्णु स्तुति के बारे में

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं एक प्रबल संस्कृत मंत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति करता है, जिन्हें सभी विघ्नों का नाशक माना जाता है। यह स्तुति श्वेत वस्त्र धारण किए भगवान गणेश के दिव्य स्वरूप का वर्णन करती है, जो पवित्रता और सर्वव्यापकता का प्रतीक है।

अर्थ

यह मंत्र भगवान गणेश को चंद्र समान तेजस्वी, चार भुजाओं वाले एवं प्रसन्न चेहरे वाले रूप में दर्शाता है। यह उनसे सभी विघ्नों के नाश एवं भक्तों को शांति तथा सफलता प्रदान करने का आव्हान करता है।

लाभ

  • विघ्नों और बाधाओं को दूर करता है
  • मानसिक शांति और सफलता लाता है
  • आध्यात्मिक विकास और बुद्धि बढ़ाता है
  • सुरक्षा और शुभ शुरुआत प्रदान करता है

महत्व

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं का जप अनुष्ठानों की शुरुआत में किया जाता है ताकि भगवान गणेश की कृपा प्राप्‍त होकर सभी विघ्न दूर हों एवं सफलता और सौहार्द सुनिश्चित हो।

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