श्री गणेश स्तुति
गाइये गणपति जगवन्दन,
शंकर सुबं भवानी के नन्दन।
गाइये गणपति जगवन्दन…
सिद्धी सदन गजवदन विनायक,
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक।
गाइये गणपति जगवन्दन…
मोदक प्रिय मृद मंगल दाता,
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता।
गाइये गणपति जगवन्दन…
मांगत तुलसीदास कर जोरें,
बसहीं रामसिय मानस मोरे।
गाइये गणपति जगवन्दन…
श्री गणेश स्तुति के बारे में
श्री गणेश स्तुति भगवान गणेश को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि एवं नए आरंभों के देवता हैं। यह स्तुति उनकी दिव्य महिमा का गुणगान करती है और सफलता व समृद्धि की आशीर्वाद मांगती है।
अर्थ
यह स्तुति भगवान गणेश की करुणामय स्वभाव, उनके विशाल हाथी के सिर का प्रतीक जो बुद्धि है, और भक्तों के जीवन से बाधाओं को दूर करने की शक्ति का वर्णन करती है। प्रत्येक श्लोक उनके कृपा का आवाहन करता है जिससे शांति, ज्ञान और आध्यात्मिक पूर्ति मिलती है।
लाभ
- बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करता है
- बुद्धि और ज्ञान प्रदान करता है
- नए कार्यों में सफलता देता है
- आध्यात्मिक शांति और शक्ति प्रदान करता है
महत्व
नियमित रूप से श्री गणेश स्तुति का पाठ करने से दिव्य संरक्षण और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो नए कार्यों की शुरुआत और जीवन की चुनौतियों को पार करने के लिए शुभ माना जाता है।