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श्री चित्रगुप्त स्तुति

जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतं शरणागतं ।
जय पूज्यपद पद्मेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबंधु कृपानिधे ।
कर्मेश जय धर्मेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनधारी विभो ।
जय श्यामतम्, चित्रेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

पूर्वज और भगवदंश जय, कश्यथ कुल, अवतांश जय ।
जय शक्ति, बुद्धि विशेष तव, शरणागतं शरणागतं ॥

जय विज्ञान क्षत्रिय धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के ।
जय शांति न्यायधीश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

जय दीन अनुरागी हरि, चाहें दया दृष्टि तेरी ।
कीजै कृपा करुणेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

तब नाथ नाम प्रभाव से, छूट जाएं भव, त्रयातप से ।
हो दूर सर्व कलेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतं शरणागतं ।
जय पूज्य पद पदेश तव, शरणागतं शरणागतं ॥

श्री चित्रगुप्त स्तुति के बारे में

श्री चित्रगुप्त स्तुति भगवान चित्रगुप्त को समर्पित एक पूजनीय स्तोत्र है, जो यमराज के सहायक एवं मानव कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाले दिव्य लेखपाल हैं। वे न्याय, सत्य और नैतिक उत्तरदायित्व के प्रतीक हैं।

अर्थ

यह स्तुति भगवान चित्रगुप्त की सभी कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाली भूमिका, ब्रह्मांडीय न्याय स्थापित करने वाली बुद्धि और क्षमा एवं नैतिक मार्गदर्शन पाने वाले भक्तों के प्रति करुणा की प्रशंसा करती है।

लाभ

  • न्याय और ब्रह्मांडीय व्यवस्था सुनिश्चित करता है
  • धार्मिक जीवन और नैतिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करता है
  • अतीत के पापकर्मों के लिए क्षमा प्रदान करता है
  • भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और नैतिक आचरण की दिशा देता है

महत्व

श्री चित्रगुप्त स्तुति का पाठ भगवान चित्रगुप्त की दिव्य उपस्थिति को आमंत्रित करता है, जो भक्तों को न्याय की प्राप्ति, पुण्य जीवन और अपने अतीत व भविष्य के कर्मों के प्रति मानसिक शांति प्राप्त करने में सहायता करता है।

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