श्री भुवनेश्वरी पंचरत्न स्तुति
नमो देव्यै प्रकृत्यै च विधात्र्यै सततं नमः
कल्याण्यै कामदायै च वृत्त्यै सिद्ध्यै नमो नमः
सच्चिदानन्द रूपिण्यै संसारारण्यै नमः
पंचकृत्यै विधात्र्यै च भुवनेश्वरीyai नमो नमः
विद्या त्वमेव नanu बुद्धिमतम नरणाम्
शक्तिस्त्वमेव किल शक्तिमाताम् सति एव
त्वं कीर्ति कान्ति कमलमल तुष्टिरूपा
मुक्तिप्रदा विरतीरेव मनुष्यलोके
त्राता त्वमेव मम मोहामयात भवाब्धेः
त्वामंबिके सततमेव महार्तिदे च
रागादिभिरविरचिते वितते'खिलान्ते
मामेव पाही बहुदुःख हरे च काले
नमो देवी महाविद्ये नमामि चरणौ तव
सदा ज्ञानप्रकाशं मे देहि सर्वार्थदे शिवे
श्री भुवनेश्वरी पंचरत्न स्तुति के बारे में
श्री भुवनेश्वरी पंचरत्न स्तुति एक दिव्य स्तोत्र है जो देवी भुवनेश्वरी को समर्पित है, जो ब्रह्मांड की सर्वोच्च मातृशक्ति और सृजनकर्ता हैं। इस स्तुति में उनकी ब्रह्मांडीय शक्ति, करुणा और ज्ञान की पांच नायाब रत्नों वाली स्तुति की गई है।
अर्थ
यह स्तुति देवी को ज्ञान, शक्ति और शुभता का अवतार बताते हुए दुख और अज्ञानता को दूर करने वाली रक्षक के रूप में महिमा करती है। प्रत्येक श्लोक उन्हें ब्रह्मांड के पालनहार और शुद्ध चेतना के रूप में स्तुति करता है।
लाभ
- आध्यात्मिक प्रबोधन और ज्ञान प्रदान करता है
- नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा करता है
- शांति, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है
- बाधाओं और दुखों को दूर करता है
महत्व
श्री भुवनेश्वरी पंचरत्न स्तुति पारंपरिक रूप से धार्मिक अनुष्ठानों और व्यक्तिगत प्रार्थनाओं में जपी जाती है ताकि देवी की कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त किए जा सकें।