मार्ग सहाय लिंग स्तुति
पयोनधी तीरे निवास लिंगं,
बालार्क कोटी प्रथमं त्रिनेत्रं,
पद्मासनेरचित दिव्य लिंगं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 1
गंगा तरङ्गोल्लस दुग्दमङ्गं,
गजेन्द्र चम्बमबार भूषितांगं,
गौरी मुखाम्भोज विलोल बृङ्गं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 2
सुकांतिकं भूत महा भुजङ्गं,
संज्ञान सम्पूर्ण निजंतरंगं,
सूर्येन्दु बिंबानल भूषितांगं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 3
भक्तप्रियं भव विलोल बृङ्गं,
भक्तानुकूल अमल भूषितांगं,
भवैक लोकान्तरं आधि लिंगं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 4
सामप्रियं सौम्य महेश लिंगं,
सामप्रधं सौम्य कदाक्ष लिंगं,
वामांग सौन्दर्य विलोलितांगं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 5
पञ्चाक्षरी भूथा सहस्र लिंगं,
पञ्चामृत स्नान पर्यायंगं,
पञ्चामृतं भोज विलोल बृङ्गं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 6
वन्दे सुराराधिता पद पद्मं,
श्री श्यामावल्लि रमणं महेशं,
वन्दे महा मेरु सरासनं शिवं,
वन्धमहे मार्ग सहाय लिंगं। 7
मार्ग सहाय लिंग स्तुति के बारे में
मार्ग सहाए लिंग स्तुति एक पवित्र स्तोत्र है जिसे अप्पय दीक्षित ने रचित किया था। यह भगवान शिव की स्तुति करता है जो जीवन की यात्रा में दिव्य मार्गदर्शक और रक्षक हैं। यह स्तुति सुरक्षित यात्रा और मार्ग की बाधाओं को दूर करने की कामना करती है।
अर्थ
यह स्तुति भगवान शिव को मार्ग सहाए लिंगम के रूप में महिमा देती है, जो गंगा की लहरों, गजचर्म और कमल मुखी पार्वती से सुसज्जित हैं। यह उनकी ब्रह्मांडीय भूमिका को बताती है जो बाधाओं को दूर करते हुए आध्यात्मिक मुक्ति के मार्गदर्शक हैं।
लाभ
- यात्राओं और जीवन की चुनौतियों में सुरक्षा प्रदान करता है
- बाधाओं और विघ्नों को दूर करता है
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन और शांति प्रदान करता है
- साहस और धैर्य बढ़ाता है
महत्व
मार्ग सहाए लिंग स्तुति का जप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन यात्रा में सुरक्षित मार्ग तथा आध्यात्मिक सफलताओं के लिए किया जाता है।