गुरुवायुपुरेश मंगल स्तुति
श्री कृष्णाय मुकुन्दाय, श्री राजा दिव्य वर्ष्मणे
गुरुवत पुरेशाय जगदीशाय मंगलम्
करुणार्द्र मनस्काय तऱुणारुण रोचिषे,
गुरुवत पुरेशाय हृषिकेशाय मंगलम्
विश्व पालन दीक्षाय विश्व संथाप हारिणे,
गुरुवायुपुरेशाय वासुदेवाय मंगलम्
भवाब्धि तारकायब्ज भवभीष्टध कर्मणे,
गुरुवायुपुरेशाय नन्द पुत्राय मंगलम्
पयोधि कन्या पथये पयोधोपमा मूर्तये
गुरुवायुपुरेशाय नन्द पुत्राय मंगलम्
तप पानोध लोलाया पापारण्य दावग्नये
गुरुवायुपुरेशाय देव देवाय मंगलम्
गुरुवायुपुरेश मंगल स्तुति के बारे में
गुरुवायुपुरेष मङ्गल स्तुति एक पवित्र गीत है जो भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है, जो भगवान कृष्ण के एक स्वरूप हैं और सर्वोच्च रक्षक और शुभ प्रभु माने जाते हैं। यह स्तुति उनकी दिव्य कृपा, करुणा और ब्रह्मांड के पोषण में उनकी भूमिका की स्तुति करती है।
अर्थ
यह स्तुति भगवान गुरुवायुरप्पन की करुणामय प्रकृति, युवावस्था की चमक और संसार की रक्षा एवं दुःख निवारण के लिए उनके शाश्वत संकल्प की महिमा करती है। प्रत्येक श्लोक उनकी मंगलकामना, शांति और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देता है।
लाभ
- शुभता और दिव्य आशीर्वाद लाता है
- सुरक्षा और दुःख से मुक्ति प्रदान करता है
- आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है
- समृद्धि और सौहार्द सुनिश्चित करता है
महत्व
गुरुवायुपुरेष मङ्गल स्तुति पारंपरिक तौर पर विशेष अवसरों और रोजाना की प्रार्थनाओं में जपा जाता है ताकि भगवान गुरुवायुरप्पन की कृपा, सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो सके।