वेदसार शिव स्तोत्रम्
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पशूनां पतिं पापनाशं पारेशं
गजेन्द्रस्य कृतिं वसनं वरेण्यं
जटाजूतमध्यें स्फुरद्गंगावरिं
महादेवमेकम् स्मरामि स्मररिम्॥
महेशं सुरेशं सुररतीनाशं
विभुम् विश्वनाथं विभूत्याङ्गभूषं
विरूपाक्षमिन्द्वरकावह्नित्रिनेत्रं
सदानन्दमिदं प्रभुम् पंचवक्त्रम्॥
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं
गवेंद्रधीरूढं गुणातितरूपं
भावं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं
भवानिकलत्रं भजे पंचवक्त्रम्॥
शिवकान्तं शम्भो शशाङ्कर्धमौले
महेशान शूलिन जटाजूटधरीन्
त्वमेको जगद्व्यापक विष्वरूपः
प्रसिद्ध प्रसिद्ध प्रभो पूर्णरूपम्॥
परात्मनामेकं जगद्बीजमध्यं
निरीहम् निराकारं ॐकारवेद्यम्
यतो जयते पाल्यते येन विश्वं
तमिशं भजे लीयते यत्र विश्वं॥
न भूमिर्न चापो न वायुः
न चाक्षस्मास्ते न तन्द्रा न निद्रा
नोष्णं न शीतं न देशो न वेशो
न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमेदि॥
अजं शाश्वतं कारणं कारणं
शिवं केवलं भसकं भसकं
तुरीयं तमः परमाद्यन्तहिनं
प्रपद्ये परम पावनं द्वितहिनं॥
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते
नमस्ते नमस्ते तपयोगागम्य
नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानागम्य॥
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ
महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र
शिवकान्त शान्त स्मररे पुरारे
त्वदन्यो वरेण्यो न मयनो न गण्यः॥
शम्भो महेश करुणामय शूलपाणे
गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन
काशीपते करुणया जगदेतदेक
त्वं हंसी पसी विदधसि महेश्वराऽसि॥
त्वत्तोजगद्भवति देव भव स्मररे
त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृद विश्वनाथ
त्वय्येव गच्छति लयम् जगदेतदिश
लिङ्गत्मके हर चराचरविश्व रूपिन्॥
- श्री शंकराचार्य
वेदसार शिव स्तोत्रम् के बारे में
वेदसार शिव स्तोत्र, जिसे वेदसर शिव स्तव भी कहा जाता है, भगवान शिव की महिमा में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र शिव को सर्वोच्च स्वरूप और निराकार सत्य के रूप में वर्णित करता है, जो वेदों का सार है। इसे पारंपरिक रूप से रावण के द्वारा रचित माना जाता है जो शिव के एक महान भक्त थे। यह स्तोत्र शिव के दिव्य गुणों, ब्रह्मांडीय भूमिका और कृपाओं का गुणगान करता है।
अर्थ
यह स्तोत्र भगवान शिव के दिव्य गुणों की स्तुति करता है जैसे सभी जीवों के स्वामी, पापों के नाशक, जो अपने केशों में पवित्र गंगा धारण किए हैं, भस्म से सुशोभित हैं, और जिनकी आँखें सूर्य, चंद्र और अग्नि के समान हैं। यह उनके पंचमुखी स्वरूप, देवताओं के रक्षक और असुरों के संहारक रूप को दर्शाता है, और उनकी कृपा से शक्ति, शांति और आध्यात्मिक विकास की कामना करता है।
लाभ
- बाधाओं और पापों को दूर करता है
- शांति, समृद्धि और शक्ति प्रदान करता है
- आध्यात्मिक विकास और ज्ञान बढ़ाता है
- नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य से रक्षा करता है
- आत्मविश्वास और भीतर की शांति प्रदान करता है
महत्व
वेदसार शिव स्तोत्र का जाप भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है ताकि संपूर्ण कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति हो सके। इसका पाठ भक्तों को शिव की शक्ति और पवित्रता प्रदान करता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों को पार कर शांति प्राप्त कर सकें। यह महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर विशेष महत्व रखता है और सुरक्षा एवं आशीर्वाद की कामना रखने वाले भक्तों में प्रिय है।