VividhGyan Logo

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम्

ऑडियो सुनने के लिए चलाएँ

प्रातः स्मरामि भवभीति हरं सुरेशं गंगा धरं वृषभ वाहनं अम्बिकेशं
खट्वांग शूल वरद अभय हस्तं ईशं संसार रोग हरं औषधं अद्वितीयं ॥1॥

प्रातर नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं सर्ग स्थिति प्रलय कारणं आदि देवं
विश्वेशरं जित विश्व मनोभिरमं संसार रोग हरं औषधं अद्वितीयं ॥2॥

प्रातर भजामि शिवं एकं अनंतं आद्यं वेदान्त वेद्यं अनघं पुरुषं महंतं
नामादिभेद रहितं षड्भावशून्यं संसार रोग हरं औषधं अद्वितीयं ॥3॥

प्रातः समुत्थाय शिवं विचिन्त्य श्लोकास्त्रयं येनुदिनं पठन्ति
ते दुःखजातं बहुजनमसंचितं हित्वा पदं यान्ति तदेव शंभोः ॥4॥

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम् के बारे में

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्र एक पवित्र प्रातःकालीन स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा, संरक्षण, आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए गाया जाता है। इसे पारंपरिक रूप से ब्रह्ममुहूर्त में पढ़ा जाता है ताकि दिन की शुरुआत दिव्य स्मरण के साथ हो और पूरे दिन शिव की कृपा बनी रहे।

अर्थ

यह स्तोत्र भगवान शिव को भय और सांसारिक दुःखों को दूर करने वाला, देवों का स्वामी, गंगा के धारणकर्ता और वरदान देने वाला बताया गया है। यह उनके आदिम स्वरूप के अवतार के रूप में सृष्टि, पालन और संहार के पर्यवेक्षक होने और उनके करुणामय स्वभाव का उल्लेख करता है जो सांसारिक रोगों का इलाज करता है।

लाभ

  • संरक्षण प्रदान करता है और भय दूर करता है
  • मन को शुद्ध करता है और सांसारिक रोगों को दूर करता है
  • मानसिक शांति, शांति और आध्यात्मिक जागृति लाता है
  • साहस, शक्ति और सफलता का आशीर्वाद देता है
  • स्वयं की खोज के मार्ग पर प्रगति में मदद करता है

महत्व

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्र भक्तों के बीच दिन की शुरुआत दिव्य ध्यान के साथ करने के लिए व्यापक रूप से प्रचलित है। इसका नियमित पाठ भगवान शिव की कृपा लाने, नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और पूरे दिन आध्यात्मिक आशीर्वाद प्रदान करने वाला माना जाता है।

भाषा बदलें: