मारुती स्तोत्र
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भीमरूपी महारुद्र । वज्र हनुमान मारुती ।
वानर अंजनी सुत । रामदूत प्रभंजना ॥
महाबली प्रण्डता । सकल उथवी बले ।
सौख्यकारी शोकहर्ता । धूर्त वैष्णव गायक ॥
दिननाथ हरिरूप । सुन्दर जुग्दन्तर ।
पाताल देवता हन्ता । भव्या शेंदूरलेपन ॥
लोकनाथ जगन्नाथ । पुरन्नाथ पुरातन ।
पुण्यवंत पुण्यशील पावन पर्तोषक ॥
ध्वजंगे उचली बाहो । आवेषे लोटला पुढे ।
कलाग्नी कालरुद्राग्नी । देखता कापती भय ॥
ब्रह्माण्डे माएली नेनो । आवले दंतपंगती ।
नेत्रांगी चलिल्या ज्वाला । भ्रुकुटी ताथिल्या बाले ॥
पुच्छा ते मुर्दीले माथा । कीरिती कुंडले बरी ।
सुवर्ण घाटी कसोटी । घंटा कींकिनी नगरा ॥
ठकारे पर्वता ऐसा । नेतका सदपातलु ।
चपलांग पाहटा मोठे । महाविद्धुल्ते परी ॥
कोटीच्या कोटी उदाने । झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्रद्री सारिखा ड्रोनू । क्रोधी उत्पातीला बाले ॥
आनीला मागुटी नेला । आला गेला मनोगती ।
मनसी टाकिले मागे । गतिसी तुलना नसे ॥
अनुपासुनी ब्रह्मांडा । एवधा हूत जातसे ।
ब्रह्मांडभोवती वेधे । वार्जपुच्छ घालावु शाके ॥
तयासी तुलना कोठे । मीरू मंदर चाकुटे ।
तयाशी तुलना कैसी । ब्रह्मांडी पाहता नसे ॥
अरक्ताह देखिले डोळा । गिलिले सूर्यमंडला ।
वाद्धता वड्डता वाधे । भेदिले शून्यमंडला ॥
भूत प्रीत सामंधधी । रोगव्याधि समस्थहि ।
नास्ति तुतति चिंता । आनंदे भीमदर्शन ॥
हे धरा पांढरा श्लोकी । लाभली शुभले बाळी ।
दृढ देहो नीसंधेहो । संख्या चंद्रकला कुणे ॥
रामदासी अर्पगणु । कपिकुलासी मांदनु ।
रामरूप अंतरात्मा । दर्शन दूष नास्ति ॥
॥ भीमरूपी स्तोत्र सम्पूर्ण ॥
मारुती स्तोत्र के बारे में
मारुति स्तोत्र समर्थ रामदास स्वामी द्वारा रचित एक पूजनीय स्तोत्र है जो भगवान हनुमान (मारुति) की शक्ति, भक्ति और वीरता का प्रतीक है। यह स्तोत्र हनुमान के दिव्य गुणों और उनके संरक्षक के रूप में सभी बाधाओं को दूर करने तथा साहस और आध्यात्मिक विकास प्रदान करने वाली भूमिका को दर्शाता है।
अर्थ
यह स्तोत्र हनुमान की पवन समान गति, इंद्रियों पर अधिकार, सर्वोच्च बुद्धि और भगवान राम के प्रति उनकी अडिग भक्ति की स्तुति करता है। इसे एक महान योद्धा, जीवन और आनंद प्रदान करने वाला, दुश्मनों और दुःखों को दूर करने वाला और भगवान विष्णु की महिमा का भक्तिपूर्ण गायक बताया गया है। इसका पाठ मानसिक स्पष्टता, शक्ति, सुरक्षा और कठिनाइयों से मुक्ति लाने वाला माना जाता है।
लाभ
- बाधाओं और भय को दूर करता है
- शक्ति, साहस और सहनशीलता देता है
- सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करता है
- आध्यात्मिक विकास और भक्ति बढ़ाता है
- सफलता और कल्याण लाता है
महत्व
मारुति स्तोत्र का जाप भक्तों द्वारा भगवान हनुमान की कृपा प्राप्ति, सुरक्षा, शक्ति और आध्यात्मिक प्रगति के लिए किया जाता है। इसे विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पढ़ने की सलाह दी जाती है और यह ग्रह दोषों को कम करने, साहस और दृढ़ता बढ़ाने वाला माना जाता है।