मां बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
ऑडियो सुनने के लिए चलाएँ
ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी,
माता श्रीबगलामुखी ।
चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च,
ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ॥
महा विद्या महा-लक्ष्मी,
श्रीमत् त्रिपुर-सुन्दरी ।
भुवनेशी जगन्माता,
पार्वती सर्व-मंगला ॥
ललिता भैरवी शान्ता,
अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।
वाराही छिन्नमस्ता च,
तारा काली सरस्वती ॥
...
फल - श्रुति
अष्टोत्तरशतनाम्नां,
बगलायस्तु यः पठेत् ।
रिपुबाधाविनिर्मुक्तः,
लक्ष्मिस्थैर्यमवाप्नुयात् ॥
भूत-प्रेत-पिशाचाश्च,
ग्रह-पीड़ा-निवारणम् ।
राजानो वशमायाति,
सर्वैश्वर्यं च विन्दति ॥
नानाविद्यां च लभते,
राज्यं प्राप्नोति निश्चितम् ।
भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति,
साक्षात् शिवसमो भवेत् ॥
मां बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के बारे में
माँ बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र एक पवित्र स्तोत्र है जो हिंदू धर्म में महाविद्याओं में से एक देवी बगलामुखी को समर्पित है। यह स्तोत्र माता बगलामुखी की शक्तियों, भक्तों की रक्षा करने, बाधाओं को दूर करने और शत्रुओं को हराने की क्षमता का गुणगान करता है। इसमें देवी के 108 नाम शामिल हैं जो उनकी दिव्य विशेषताओं की स्तुति करते हैं।
अर्थ
यह स्तोत्र माँ बगलामुखी की शक्तिशाली सुरक्षा, शत्रुओं को स्तब्ध करने, बाधाओं को नष्ट करने तथा भक्तों को शक्ति और सफलता प्रदान करने की क्षमता का गुणगान करता है। इसे कठिनाइयों को दूर करने और विजय प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
लाभ
- शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है
- बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करता है
- भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है
- चुनौतियों और कानूनी मामलों में विजय प्राप्त करने में मदद करता है
महत्व
यह स्तोत्र अपनी आध्यात्मिक ताकत के लिए अत्यंत पूजनीय है और इसे आमतौर पर संघर्ष, कानूनी विवाद या तीव्र बाधाओं को पार पाने के लिए दिव्य सहयोग पाने के लिए पढ़ा जाता है। माँ बगलामुखी को देवी का एक प्रभावशाली रूप माना जाता है जो तुरंत रक्षा और सफलता प्रदान करती हैं।