दत्तात्रेय स्तोत्रम्
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जटाधरं, पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिं ।
सर्वरोग हरं देवं दत्तात्रेयमहं भजेव ॥
जगत् उत्पत्ति कर्त्रे च स्थिति संहार हेतवे ।
भव पाश विमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
जरा जन्म विनाशाय देह शुद्धि कराय च ।
दिगम्बर दया मूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
कर्पूर कान्ति देहाय ब्रह्म मूर्ति धराय च ।
वेद शास्त्र परिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
ह्रस्व दीर्घ कृत स्थूल नाम गोत्र विवर्जित ।
पञ्च भूतैक दीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
यज्ञ भोक्त्रे च यज्ञाय यज्ञ रूप धराय च ।
यज्ञ प्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुर् अन्ते देव सदा शिव ।
मूर्ति त्रय स्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
भोगालयाय भोगाय योग योयाय धारिणे ।
जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
ब्रह्म ज्ञान मयी मुद्रा वस्त्रे च आकाश भूथले ।
प्रज्ञान घन बोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
सत्य रूप सदाचार सत्य धर्म परायण ।
सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
दत्तात्रेय स्तोत्रम् के बारे में
दत्तात्रेय स्तोत्र भगवान दत्तात्रेय को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जो हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव के संयुक्त स्वरूप हैं। भगवान दत्तात्रेय को एक दिव्य गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान के स्रोत, संरक्षक और बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है।
अर्थ
यह स्तोत्र भगवान दत्तात्रेय के गुणों की सराहना करता है, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूप में उनकी भूमिका, दयालु स्वभाव, और आध्यात्मिक शिक्षाएँ शामिल हैं। यह ज्ञान, भय और बाधाओं के निवारण, तथा आत्मा की उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगता है।
लाभ
- बाधाओं और भय को दूर करता है
- आध्यात्मिक ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता है
- संरक्षण और मार्गदर्शन देता है
- मोक्ष और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है
- शांति, समृद्धि और सुख लाता है
महत्व
दत्तात्रेय स्तोत्र का व्यापक रूप से उन भक्तों द्वारा जाप किया जाता है जो आध्यात्मिक ज्ञान, सुरक्षा और मुक्ति की कामना करते हैं। यह एक शक्तिशाली प्रार्थना माना जाता है जो सृष्टि, पालन और संहार की शक्तियों को व्यक्ति में संतुलित करता है और भक्त को परम सत्य के साथ जोड़ता है।