श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली
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॥ श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली ॥
ॐ तारिण्यै नमः।
ॐ तरलायै नमः।
ॐ तन्व्यै नमः।
ॐ तारायै नमः।
ॐ तरुणवल्लर्यै नमः।
ॐ तारारूपायै नमः।
ॐ तर्यै नमः।
ॐ श्यामायै नमः।
ॐ तनुक्षीणपयोधरायै नमः।
ॐ तुरियायै नमः।
ॐ तरुणायै नमः।
ॐ तीव्रगमनीयै नमः।
ॐ नीलवाहिन्यै नमः।
ॐ उग्रतारायै नमः।
ॐ जयायै नमः।
ॐ चण्डायै नमः।
ॐ श्रीमदेकजटाशिरायै नमः।
ॐ तरुण्यै नमः।
ॐ शांभव्यै नमः।
ॐ छिन्नफालायै नमः।
ॐ भद्रदायिन्यै नमः।
ॐ उग्रायै नमः।
ॐ उग्रप्रभायै नमः।
ॐ नीलायै नमः।
ॐ कृष्णायै नमः।
ॐ नीलसरस्वत्यै नमः।
ॐ द्वितीयायै नमः।
ॐ शोभनायै नमः।
ॐ नित्या नमः।
ॐ नवीनायै नमः।
ॐ नित्यम् भीषणायै नमः।
ॐ चण्डिकायै नमः।
ॐ विजयाराध्यायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ गगनवाहिन्यै नमः।
ॐ अट्टहासायै नमः।
ॐ करालास्यायै नमः।
ॐ चरास्यायै नमः।
ॐ ईशपूजितायै नमः।
ॐ सगुणायै नमः।
ॐ असगुणायै नमः।
ॐ आराध्यायै नमः।
ॐ हरिन्द्रादिप्रपूजितायै नमः।
ॐ रक्तप्रियायै नमः।
ॐ रक्ताक्ष्यै नमः।
ॐ रुधिरास्यविभूषितायै नमः।
ॐ बलिप्रियायै नमः।
ॐ बलिरतायै नमः।
ॐ दुर्गायै नमः।
ॐ बलवत्यै नमः।
ॐ बलायै नमः।
ॐ बलप्रियायै नमः।
ॐ बलरत्यै नमः।
ॐ बलरामप्रपूजितायै नमः।
ॐ अर्धकेशेश्वर्यै नमः।
ॐ केशायै नमः।
ॐ केशवायै नमः।
ॐ स्रग्विभूषितायै नमः।
ॐ पद्ममालायै नमः।
ॐ पद्माक्ष्यै नमः।
ॐ कामाक्ष्यै नमः।
ॐ गिरिनन्दिन्यै नमः।
ॐ दक्षिणायै नमः।
ॐ दक्षायै नमः।
ॐ दक्षजायै नमः।
ॐ दक्षिणेरतायै नमः।
ॐ वज्रपुष्पप्रियायै नमः।
ॐ रक्तप्रियायै नमः।
ॐ कुसुमभूषितायै नमः।
ॐ माहेश्वर्यै नमः।
ॐ महादेवप्रियायै नमः।
ॐ पन्नगभूषितायै नमः।
ॐ इडायै नमः।
ॐ पिङ्गलायै नमः।
ॐ सुषुम्नाप्राणरूपिण्यै नमः।
ॐ गांधार्यै नमः।
ॐ पञ्चम्यै नमः।
ॐ पञ्चाननादिपरिपूजितायै नमः।
ॐ तथ्यविद्यायै नमः।
ॐ तथ्यरूपायै नमः।
ॐ तथ्यमार्गानुसारिण्यै नमः।
ॐ तत्त्वरूपायै नमः।
ॐ तत्त्वप्रियायै नमः।
ॐ तत्त्वज्ञानात्मिकायै नमः।
ॐ अनघायै नमः।
ॐ ताण्डवाचारसन्तुष्टायै नमः।
ॐ ताण्डवप्रियकारिण्यै नमः।
ॐ तालनादरतायै नमः।
ॐ क्रूरतापिन्यै नमः।
ॐ तारणिप्रभायै नमः।
ॐ त्रपायुक्तायै नमः।
ॐ त्रपामुक्तायै नमः।
ॐ तर्पितायै नमः।
ॐ तृप्तिकरिण्यै नमः।
ॐ तारुण्यभावसन्तुष्टायै नमः।
ॐ शक्ति भक्तानुरागिण्यै नमः।
ॐ शिवासक्तायै नमः।
ॐ शिवरत्या नमः।
ॐ शिवभक्ति परायणायै नमः।
ॐ ताम्रद्युतये नमः।
ॐ ताम्ररागायै नमः।
ॐ ताम्रपात्रप्रभोञ्जिन्यै नमः।
ॐ बलभद्रप्रेमरतायै नमः।
ॐ बलिभुजे नमः।
ॐ बलिकल्पन्यै नमः।
ॐ रामप्रियायै नमः।
ॐ रामशक्त्यै नमः।
ॐ रामरूपानुकारिण्यै नमः।
॥ श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्ण ॥
श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली के बारे में
श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली 108 दिव्य नामों वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जो दस महाविद्याओं में से दूसरी देवी तारा को समर्पित है। वह सर्वोच्च सुरक्षा, करुणा और ज्ञान की मूर्ति हैं, जो भक्तों को सांसारिक समुद्र से पार लगाकर आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाती हैं।
अर्थ
यह स्तोत्र देवी तारा के गुणों की स्तुति करता है, जिनमें नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, ज्ञान प्रदान करना, और करुणा तथा शरण देना शामिल है। इन नामों का नियमित जाप भय दूर करने, शांति प्राप्त करने और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति करने में सहायक होता है।
लाभ
- भय और नकारात्मकता से सुरक्षा प्रदान करता है
- आध्यात्मिक ज्ञान और अंतर्दृष्टि देता है
- शांति, करुणा और शरण लाता है
- बाधाओं और दुर्भाग्य को दूर करने में मदद करता है
- आध्यात्मिक विकास और मुक्ति का समर्थन करता है
महत्व
श्री तारा अष्टोत्तर शतनामावली का जाप विशेष रूप से मंगलवार, नवरात्रि और अन्य आध्यात्मिक अवसरों पर शुभ माना जाता है। यह देवी तारा के आशीर्वाद को रक्षा, सफलता और आध्यात्मिक प्रबोधन के लिए आह्वान करता है।