श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली
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॥ श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली ॥
ॐ महामत्तमातङ्गिनीसिद्धिरूपायै नमः।
ॐ योगिन्यै नमः।
ॐ भद्रकाल्यै नमः।
ॐ रमायै नमः।
ॐ भवान्यै नमः।
ॐ भवप्रीतिदायै नमः।
ॐ भूत्युक्तायै नमः।
ॐ भवाराधितायै नमः।
ॐ भूति-संपत्कर्यै नमः।
ॐ धनाधीशमात्रे नमः। 10
ॐ धनागारदृष्ट्यै नमः।
ॐ धनेशार्चितायै नमः।
ॐ धीवरायै नमः।
ॐ धीवराङ्ग्यै नमः।
ॐ प्रकृष्टायै नमः।
ॐ प्रभारोहिण्यै नमः।
ॐ कामरूपायै नमः।
ॐ प्रहृष्टायै नमः।
ॐ महाकीर्तिदायै नमः।
ॐ कर्णनाल्यै नमः। 20
ॐ काल्यै नमः।
ॐ भगाघोररूपायै नमः।
ॐ भगाङ्ग्यै नमः।
ॐ भगवाह्यै नमः।
ॐ भगप्रीतिदायै नमः।
ॐ भीमरूपायै नमः।
ॐ भवानीमहाकौशिक्यै नमः।
ॐ कोशपूर्यै नमः।
ॐ किशोर्यै नमः।
ॐ किशोरप्रियानंदिहायै नमः। 30
ॐ महाकारिण्यै नमः।
ॐ कारणायै नमः।
ॐ कर्मशीलायै नमः।
ॐ कपाल्यै नमः।
ॐ प्रसिद्धायै नमः।
ॐ महासिद्धखण्डायै नमः।
ॐ मकारप्रियायै नमः।
ॐ मानरूपायै नमः।
ॐ महेश्वर्यै नमः।
ॐ महोल्लासिन्यै नमः। 40
ॐ लास्यलीलालयाङ्ग्यै नमः।
ॐ क्षमायै नमः।
ॐ क्षेमशीलायै नमः।
ॐ क्षपाकारण्यै नमः।
ॐ अक्षयप्रीतिदाभूतियुक्ताभवान्यै नमः।
ॐ भवाराधिताभूतिसत्यात्मिकायै नमः।
ॐ प्रभोद्भासितायै नमः।
ॐ भानुभास्वत्करायै नमः।
ॐ चलत्कुण्डलायै नमः।
ॐ कामिनी-कान्तयुक्तायै नमः। 50
ॐ कपालाचलायै नमः।
ॐ कालकोद्धारिण्यै नमः।
ॐ कदम्बप्रियायै नमः।
ॐ कोटर्यै नमः।
ॐ कोटदेहायै नमः।
ॐ क्रमायै नमः।
ॐ कीर्तिदायै नमः।
ॐ कर्णरूपायै नमः।
ॐ काक्ष्म्यै नमः।
ॐ क्षमाङ्ग्यै नमः। 60
ॐ क्षयप्रेमरूपायै नमः।
ॐ क्षपायै नमः।
ॐ क्षयाक्षायै नमः।
ॐ क्षयाह्वायै नमः।
ॐ क्षयप्रान्तारायै नमः।
ॐ क्षवत्कामिन्यै नमः।
ॐ क्षारीण्यै नमः।
ॐ क्षीरपोषायै नमः।
ॐ शिवाङ्ग्यै नमः।
ॐ शाकम्भर्यै नमः। 70
ॐ शाकदेहायै नमः।
ॐ महाशाकयज्ञ्यै नमः।
ॐ फलप्राशकायै नमः।
ॐ शाकाह्वाशाक्याशाक्यायै नमः।
ॐ शाकाक्षांतरोषायै नमः।
ॐ सुरोषायै नमः।
ॐ सुरेखायै नमः।
ॐ महाशेषयज्ञोपवीतप्रियायै नमः।
ॐ जयन्तीजयाजाग्रत्ययुक्तरूपायै नमः।
ॐ जयांग्यै नमः। 80
ॐ जप-ध्यानसंतुष्टसंज्ञ्यायै नमः।
ॐ जयप्राणरूपायै नमः।
ॐ जयस्वर्णदेहायै नमः।
ॐ जयज्वालिन्यै नमः।
ॐ यामिन्यै नमः।
ॐ यम्यारूपायै नमः।
ॐ जगन्मात्रिरूपायै नमः।
ॐ जगद्रक्षणायै नमः।
ॐ स्वधावौषधान्तायै नमः।
ॐ विलम्बाविलम्बायै नमः। 90
ॐ षडङ्गायै नमः।
ॐ महालम्बरोपासिहस्तापदार्हिण्यै नमः।
ॐ महामंगलायै नमः।
ॐ मंगलप्रीतकीर्त्यै नमः।
ॐ निशुंभक्षिदायै नमः।
ॐ शुंभदर्पत्वहायै नमः।
ॐ आनंदबीजादिस्वरूपायै नमः।
ॐ मुक्तिस्वरूपायै नमः।
ॐ चण्डमुण्डापदायै नमः।
ॐ मुख्यचण्डायै नमः। 100
ॐ प्रचण्डप्रचण्डायै नमः।
ॐ महाचण्डवेगायै नमः।
ॐ चलच्चामरायै नमः।
ॐ चामराचन्द्रकीर्त्यै नमः।
ॐ सुचामिकरायै नमः।
ॐ चित्रभूषोज्ज्वलाङ्ग्यै नमः।
ॐ सुशाङ्गीतगीतात्यै नमः।
॥ श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्ण ॥
श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली के बारे में
श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली 108 दिव्य नामों वाला भक्ति स्तोत्र है, जो देवी मातंगी को समर्पित है, जो नौ महाविद्याओं में से नौवीं और देवी सरस्वती की तांत्रिक रूप हैं। वह वाक्, ज्ञान, कला और संगीत की अधिष्ठात्री हैं, जो बुद्धि, सृजनात्मकता और आंतरिक परिवर्तन की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
अर्थ
प्रत्येक नाम देवी मातंगी के एक अनोखे गुण का वर्णन करता है, जिसमें उनका राजसी सौंदर्य, कलात्मक महारत, आध्यात्मिक ज्ञान और देवी ललिता की सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका शामिल है। उन्हें छिपे हुए ज्ञान और सृजनात्मक संभावनाओं को खोलने वाली माना जाता है।
लाभ
- बौद्धिक और कलात्मक क्षमताओं को बढ़ाता है
- सृजनात्मक संभावनाओं और आध्यात्मिक ज्ञान को खोलता है
- सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है
- आंतरिक परिवर्तन और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है
- भक्ति और ध्यान साधना को मजबूत करता है
महत्व
श्री मातंगी अष्टोत्तर शतनामावली विशेष रूप से कलाकारों, छात्रों और आध्यात्मिक साधकों द्वारा ज्ञान, सृजनात्मकता और स्पष्टता के आशीर्वाद के लिए जपा जाता है। उन्हें अध्ययन, कलात्मक अभिव्यक्ति और आत्मसाक्षात्कार के लिए आह्वान किया जाता है।