श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली
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॥ श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली ॥
ॐ धूमावत्यै नमः।
ॐ धूम्रवर्णायै नमः।
ॐ धूम्रपानपरायणायै नमः।
ॐ धूम्राक्षमथिन्यै नमः।
ॐ धन्यायै नमः।
ॐ धन्यस्थाननिवासिन्यै नमः।
ॐ अघोराचारसन्तुष्टायै नमः।
ॐ अघोराचारमण्डितायै नमः।
ॐ अघोरमन्त्रसम्प्रीतायै नमः।
ॐ अघोरमन्त्रपूजितायै नमः।
ॐ अट्टाट्टहासनिरतायै नमः।
ॐ मलिनाम्बरधारिण्यै नमः।
ॐ वृद्धायै नमः।
ॐ विरूपायै नमः।
ॐ विधवायै नमः।
ॐ विद्यायै नमः।
ॐ विरलद्विजायै नमः।
ॐ प्रवृद्धघोणायै नमः।
ॐ कुमुख्यै नमः।
ॐ कुटिलायै नमः।
ॐ कुटिलेक्षणायै नमः।
ॐ कराल्यै नमः।
ॐ करालास्यायै नमः।
ॐ कंकाल्यै नमः।
ॐ शूर्पधारिण्यै नमः।
ॐ काकध्वजरथारूढायै नमः।
ॐ केवलायै नमः।
ॐ कठिनायै नमः।
ॐ कुह्वै नमः।
ॐ क्षुत्पिपासार्दितायै नमः।
ॐ नित्यायै नमः।
ॐ ललज्जिह्वायै नमः।
ॐ दिगम्बरीय नमः।
ॐ दीर्घोदर्यै नमः।
ॐ दीर्घरवायै नमः।
ॐ दीर्घाङ्ग्यै नमः।
ॐ दीर्घमस्तकायै नमः।
ॐ विमुक्तकुन्तलायै नमः।
ॐ कीर्त्यै नमः।
ॐ कैलासस्थानवासिन्यै नमः।
ॐ क्रूरायै नमः।
ॐ कालस्वरूपायै नमः।
ॐ कालचक्रप्रवर्तिन्यै नमः।
ॐ विवर्णायै नमः।
ॐ चञ्चलायै नमः।
ॐ दुष्टायै नमः।
ॐ दुष्टविध्वंसकारिण्यै नमः।
ॐ चण्ड्यै नमः।
ॐ चण्डस्वरूपायै नमः।
ॐ चामुण्डायै नमः।
ॐ चण्डनिःस्वनायै नमः।
ॐ चण्डवेगायै नमः।
ॐ चण्डगत्यै नमः।
ॐ चण्डविनाशिन्यै नमः।
ॐ मुण्डविनाशिन्यै नमः।
ॐ चाण्डालिन्यै नमः।
ॐ चित्ररेखायै नमः।
ॐ चित्राङ्ग्यै नमः।
ॐ चित्ररूपिण्यै नमः।
ॐ कृष्णायै नमः।
ॐ कपर्दिन्यै नमः।
ॐ कुल्लायै नमः।
ॐ कृष्णरूपायै नमः।
ॐ क्रियावत्यै नमः।
ॐ कुम्भस्तन्यै नमः।
ॐ महोन्मत्तायै नमः।
ॐ मदिरापानविह्वलायै नमः।
ॐ चतुर्भुजायै नमः।
ॐ ललज्जिह्वायै नमः।
ॐ शत्रुसंहारकारिण्यै नमः।
ॐ शवारूढ़ायै नमः।
ॐ शवगतायै नमः।
ॐ श्मशानस्थानवासिन्यै नमः।
ॐ दुराराध्यायै नमः।
ॐ दुराचारायै नमः।
ॐ दुर्जनप्रीतिदायिन्यै नमः।
ॐ निर्मांसायै नमः।
ॐ निराकारायै नमः।
ॐ धूमहस्तायै नमः।
ॐ वरान्वितायै नमः।
ॐ कलहायै नमः।
ॐ कलिप्रीतायै नमः।
ॐ कलिकल्मषनाशिन्यै नमः।
ॐ महाकालस्वरूपायै नमः।
ॐ महाकालप्रपूजितायै नमः।
ॐ महादेवप्रियायै नमः।
ॐ मेधायै नमः।
ॐ महासंकटनाशिन्यै नमः।
ॐ भक्तप्रियायै नमः।
ॐ भक्तगत्यै नमः।
ॐ भक्तशत्रुविनाशिन्यै नमः।
ॐ भैरव्यै नमः।
ॐ भुवनायै नमः।
ॐ भीमायै नमः।
ॐ भारत्यै नमः।
ॐ भुवनात्मिकायै नमः।
ॐ भेरुण्डायै नमः।
ॐ भीमनयनायै नमः।
ॐ त्रिनेत्रायै नमः।
ॐ बहुरूपिण्यै नमः।
ॐ त्रिलोकेश्यै नमः।
ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।
ॐ त्रिस्वरूपायै नमः।
ॐ त्रयीतनवे नमः।
ॐ त्रिमूर्त्यै नमः।
ॐ तन्व्यै नमः।
ॐ त्रिशक्तये नमः।
ॐ त्रिशूलिन्यै नमः।
॥ श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्ण ॥
श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली के बारे में
श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली 108 नामों वाला एक पवित्र स्तोत्र है, जो हिंदू धर्म की दस महाविद्याओं में से एक देवी धूमावती को समर्पित है। वह शून्यता, वैराग्य और आध्यात्मिक पदोन्नति का प्रतीक हैं, जो विधवा के रूप में प्रकट होती हैं और विघटन एवं अंतिम ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं।
अर्थ
यह स्तोत्र देवी धूमावती के विभिन्न रूपों की प्रशंसा करता है, जिनमें नकारात्मकता दूर करने की शक्ति, आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने की क्षमता, और बुरी शक्तियों से सुरक्षा शामिल हैं। प्रत्येक नाम उनके प्रचंड करुणा, रहस्य ज्ञान में महारत और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन को दर्शाता है।
लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा करता है
- बाधाओं, भय और कष्टों को दूर करता है
- आध्यात्मिक विकास और ज्ञान बढ़ाता है
- साहस और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है
- लगाव और अज्ञान को दूर करने में मदद करता है
महत्व
श्री धूमावती अष्टोत्तर शतनामावली का जाप एक शक्तिशाली तांत्रिक साधना है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो आध्यात्मिक मुक्ति, दुष्ट प्रभावों से सुरक्षा और रहस्य विज्ञान में महारत हासिल करना चाहते हैं। देवी धूमावती की पूजा दुर्लभ है लेकिन उन्नत आध्यात्मिक साधकों के बीच अत्यंत सम्मानित है।