श्री नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावली
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॥ श्री नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावली ॥
ॐ नरसिंहाय नमः।
ॐ महासिंहाय नमः।
ॐ दिव्यसिंहाय नमः।
ॐ महाबलाय नमः।
ॐ उग्रसिंहाय नमः।
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ स्तम्भजाय नमः।
ॐ उग्रलोचनाय नमः।
ॐ रौद्राय नमः।
ॐ सर्वाद्भुताय नमः।
ॐ श्रीमते नमः।
ॐ योगानन्दाय नमः।
ॐ त्रिविक्रमाय नमः।
ॐ हरये नमः।
ॐ कोलहालाय नमः।
ॐ चक्रिणे नमः।
ॐ विजयाय नमः।
ॐ जयवर्द्धनाय नमः।
ॐ पञ्चाननाय नमः।
ॐ परब्रह्मणे नमः।
ॐ अघोराय नमः।
ॐ घोरविक्रमाय नमः।
ॐ ज्वालामुखाय नमः।
ॐ ज्वालामालिने नमः।
ॐ महाज्वालाय नमः।
ॐ महाप्रभवे नमः।
ॐ नीललक्षाय नमः।
ॐ सहस्राक्षाय नमः।
ॐ दुर्निरीक्ष्याय नमः।
ॐ प्रतापाय नमः।
ॐ महादंष्ट्रायुधाय नमः।
ॐ प्रज्ञाय नमः।
ॐ चण्डकोपिने नमः।
ॐ सदाशिवाय नमः।
ॐ हिरण्यकशिपु द्वंसिने नमः।
ॐ दैत्यदानवभञ्जनाय नमः।
ॐ गुणवद्राय नमः।
ॐ महाभद्राय नमः।
ॐ बलभद्राय नमः।
ॐ शुभद्रकाय नमः।
ॐ करालाय नमः।
ॐ विकरालाय नमः।
ॐ विकर्त्रे नमः।
ॐ सर्वकर्ता नमः।
ॐ शिंशुमाराय नमः।
ॐ त्रिलोकात्मने नमः।
ॐ ईशाय नमः।
ॐ सर्वेश्वराय नमः।
ॐ विभवे नमः।
ॐ भैरवाडंबराय नमः।
ॐ दिव्याय नमः।
ॐ अच्युताय नमः।
ॐ कविने नमः।
ॐ माधवाय नमः।
ॐ अधोक्षजाय नमः।
ॐ अक्षराय नमः।
ॐ शर्वाय नमः।
ॐ वनमालिने नमः।
ॐ वरप्रदाय नमः।
ॐ विश्वम्भराय नमः।
ॐ अद्भुताय नमः।
ॐ भव्याय नमः।
ॐ श्रीविष्णवे नमः।
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः।
ॐ अनघास्त्राय नमः।
ॐ नखास्त्राय नमः।
ॐ सूर्यज्योतिषे नमः।
ॐ सुरेश्वराय नमः।
ॐ सहस्रबाहवे नमः।
ॐ सर्वज्ञाय नमः।
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
ॐ वज्रदंष्ट्राय नमः।
ॐ वज्रनखाय नमः।
ॐ महानन्दाय नमः।
ॐ परंतपाय नमः।
ॐ सर्वमन्त्रैक रूपाय नमः।
ॐ सर्वयन्त्रविधारिणे नमः।
ॐ सर्वतंत्रात्मकाय नमः।
ॐ अव्यक्ताय नमः।
ॐ सुव्यक्ताय नमः।
ॐ भक्तवत्सलाय नमः।
ॐ वैशाखशुक्लभूतोथाय नमः।
ॐ शरणागतवत्सलाय नमः।
ॐ उदारकीर्तये नमः।
ॐ पुण्यात्मने नमः।
ॐ महात्मने नमः।
ॐ चण्ड विक्रमाय नमः।
ॐ वेदत्रयप्रपुज्याय नमः।
ॐ भगवते नमः।
ॐ परमेश्वराय नमः।
ॐ श्रीवत्सांकाय नमः।
ॐ श्रीनिवासाय नमः।
ॐ जगद्व्यापिने नमः।
ॐ जगन्मयाय नमः।
ॐ जगत्पालाय नमः।
ॐ जगन्नाथाय नमः।
ॐ महाकायाय नमः।
ॐ द्विरूपभृते नमः।
ॐ परमात्मने नमः।
ॐ परंज्योतिषे नमः।
ॐ निर्गुणाय नमः।
ॐ नृकेसरिणे नमः।
ॐ परतत्वाय नमः।
ॐ परंधाम्ने नमः।
ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः।
ॐ लक्ष्मी-नृसिंहाय नमः।
ॐ सर्वात्मने नमः।
ॐ धीराय नमः।
ॐ प्रह्लादपालकाय नमः।
॥ श्री लक्ष्मी-नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावली सम्पूर्ण ॥
श्री नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावली के बारे में
नरसिंह अष्टोत्तर या नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावली एक पवित्र स्तोत्र है जिसमें भगवान नरसिंह के 108 दिव्य नाम शामिल हैं, जो भगवान विष्णु के आधा मानव, आधा सिंह स्वरूप हैं। वे अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे और दानव राजा हिरण्यकश्यप का संहार किया था, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
अर्थ
यह स्तोत्र भगवान नरसिंह के विभिन्न दिव्य गुणों जैसे उनकी अपार शक्ति, संरक्षण की प्रकृति और भक्तों के प्रति दयालु करुणा को बताता है। इन नामों का जाप साहस उत्पन्न करता है, भय दूर करता है और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
लाभ
- आंतरिक भय और असुरक्षा को नष्ट करता है
- साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है
- भक्तों को बुराई और नकारात्मकता से बचाता है
- आध्यात्मिक विकास और आनंद लाता है
- अच्छाई की बुराई पर विजय को बढ़ावा देता है
महत्व
नरसिंह अष्टोत्तर का जाप विशेष रूप से प्रदोष, नरसिंह जयंती और अन्य भगवान नरसिंह से संबंधित अवसरों पर शुभ माना जाता है। यह भगवान की प्रचंड रक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है।