वरुण गायत्री मन्त्र
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ॐ जल बिम्बाय विद्महे नील पुरुषाय धीमहि तन्नो वरुण प्रचोदयात्
वरुण गायत्री मन्त्र के बारे में
वरुण गायत्री मंत्र भगवान वरुण को समर्पित एक पवित्र वैदिक जाप है, जो जल और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के देवता हैं। यह मंत्र वरुण की कृपा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है ताकि जीवन में समरसता, आध्यात्मिक ज्ञान, जल-संबंधी खतरों से सुरक्षा और मन व शरीर की शुद्धि हो सके।
अर्थ
मंत्र का अर्थ है: ॐ, आइए हम जल की छवि और नीले रंग के पुरुष पर ध्यान करें। भगवान वरुण हमारे मन और बुद्धि को प्रज्वलित करें और हमें ब्रह्मांडीय व्यवस्था और समरसता की ओर मार्गदर्शन करें।
लाभ
- व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में व्यवस्था और समरसता लाता है
- जल और प्राकृतिक तत्वों से संबंधित खतरों से सुरक्षा करता है
- जोड़ों के बीच प्रेम और समझ बढ़ाता है
- अंदरूनी बुराइयों और पुराने पापों को प्रकट करता है और धोता है
- शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है
महत्व
हिंदू परंपराओं में वरुण गायत्री के जाप को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह साधक को भगवान वरुण द्वारा नियंत्रित सार्वभौमिक नियम और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के साथ संरेखित करता है। यह मंत्र अनुष्ठानों और ध्यान के दौरान उनकी आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जपा जाता है ताकि जीवन में संतुलन और समरसता बनी रहे।