सीता कल्याण वैभोगमे
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सीता कल्याण वैभोगमे
राम कल्याण वैभोगमे
पवनजा स्तुति पात्र पावन चरित्र
रवि सोम वर नेत्र रमणीय गात्र
भक्त जन परिपाल भरित सारा जाल
भुक्ति मुक्ति लीला भूदेव पाल
पामरासुर भीमा परिपूर्ण काम
श्यामा जगतअभिराम साकेत धाम
सर्वलोक धार समरैका वीर
गर्व मानस दूर कनकाग धीर
निगमागम विहार निरुपम शरीर
नाग दरघ विदार नटलोक धार
परमेश नुता गीता भव जलधि पोथा
तरणि कुल संचत त्यागराज नुता
सीता कल्याण वैभोगमे के बारे में
सीता कल्याण वैभोगमे एक प्रसिद्ध कर्नाटक संगीत रचना है जिसे त्यागराज महर्षि ने रचा है। यह देवी सीता और भगवान राम के दिव्य विवाह का उत्सव मनाता है, जिसमें उनके गुण, दिव्य रूप और अनंत प्रेम का वर्णन है।
अर्थ
इस गीत में दिव्य विवाह की भव्यता का वर्णन है, जिसमें भगवान राम के सूर्य और चंद्र जैसे नेत्र, वीरगुणों और भक्तों के प्रति संरक्षण की भावना की प्रशंसा की गई है। साथ ही सीता की पवित्रता, सुंदरता और धर्म तथा करुणा के स्वरूप के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाया गया है।
लाभ
- भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ाता है
- धर्म, न्याय और वैवाहिक समरसता का उत्सव मनाता है
- नैतिक गुणों और दैवीय कृपा में आस्था को प्रोत्साहित करता है
- विवाह समारोहों में शांति और शुभता लाता है
महत्व
सीता कल्याण वैभोगमे पारंपरिक रूप से हिंदू विवाह समारोहों और भगवान राम-देवी सीता की दिव्य जोड़ी के उत्सवों में गाया जाता है। यह आदर्श वैवाहिक बंधन का प्रतीक है और प्रेम, धर्म, और भक्ति को बढ़ावा देने वाला एक प्रेरणादायक आध्यात्मिक संगीत रचना है।