सौराष्ट्रे सोमनाथ - द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
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सौराष्ट्रे सोमनाथ च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारमलेश्वरम् ॥ 1 ॥
परल्यां वैद्यनाथं च दक्षिणां भीमाशङ्करम् ।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥ 2 ॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्रिंबकं गौतमितते ।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ॥ 3 ॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरनें विनाश्यति ॥ 4 ॥
सौराष्ट्रे सोमनाथ - द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र के बारे में
सौराष्ट्रे सोमनाथन् द्वादश ज्योतिर्लिङ्गानि मंत्र भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों को समर्पित एक प्रतिष्ठित स्तोत्र है, जिन्हें भगवान शिव के दैवी प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट होने वाले सबसे पवित्र निवास माना जाता है। इस मंत्र के जप से इन ज्योतिर्लिंगों की कृपा और आध्यात्मिक उपस्थिति प्राप्त होती है।
अर्थ
यह मंत्र बारह ज्योतिर्लिंगों के नामों का उच्चारण करता है, जिनमें सौराष्ट्र का सोमनाथ, श्रीशैलम का मल्लिकार्जुन, उज्जैन का महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर और अन्य शामिल हैं। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग शिव की ब्रह्मांडीय शक्ति और कृपा का एक अनूठा स्वरूप दर्शाता है।
लाभ
- सात जन्मों के पापों को शुद्ध करता है
- आध्यात्मिक पुण्य और दैवीय कृपा प्राप्त करता है
- सुरक्षा प्रदान करता है और बाधाओं को दूर करता है
- भगवान शिव के प्रति भक्ति को मजबूत करता है
- मोक्ष और शांति प्राप्त करने में सहायता करता है
महत्व
सौराष्ट्रे सोमनाथन् द्वादश ज्योतिर्लिङ्गानि मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना माना जाता है जो भक्त को भगवान शिव के बारह पवित्र निवासों की ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ती है। यह शिवरात्रि और अन्य शिव संबंधित धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान व्यापक रूप से जपा जाता है।