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हयग्रीव गायत्री मन्त्र

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ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्

ॐ वाणिश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीव प्रचोदयात्

हयग्रीव गायत्री मन्त्र के बारे में

हयग्रीव गायत्री मंत्र भगवान हयग्रीव को समर्पित है, जो भगवान विष्णु का एक अवतार है जिनका सिर घोड़े जैसा होता है। उन्हें ज्ञान, बुद्धि, और स्मृति के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंत्र उनकी कृपा प्राप्ति के लिए मानसिक स्पष्टता और अध्ययन में सफलता के लिए जपा जाता है।

अर्थ

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्ण पक्षाय धीमहि तन्न हयग्रीवः प्रचोदयात्। इसका अर्थ है सुवर्ण पंखों वाले तत्पुरुष (परम सत्ता) का ध्यान करते हुए दैवीय मार्गदर्शन और प्रकाश प्राप्त करना।

लाभ

  • स्मृति, ध्यान, और बुद्धि को बढ़ाता है
  • ज्ञान, विवेक और स्पष्टता प्रदान करता है
  • अज्ञान, भ्रम, और मानसिक धुंध को दूर करता है
  • शैक्षिक और अध्ययन की बाधाओं को पार करने में मदद करता है
  • शिक्षा, परीक्षा और शोध में सफलता लाता है
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है

महत्व

हयग्रीव गायत्री मंत्र का जाप छात्रों, विद्वानों और ज्ञान व स्पष्टता की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे अध्ययन या परीक्षा से पहले परंपरागत रूप से जपा जाता है ताकि भगवान हयग्रीव से बुद्धि और सफलता के आशीर्वाद प्राप्त हों। यह मंत्र आध्यात्मिक विकास और अध्ययन में बाधाओं को दूर करने में भी मदद करता है।

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