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धन्वंतरि गायत्री मन्त्र

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ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृत कलश हस्ताय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात्

ॐ वासुदेवाय विद्महे वैद्य राजाय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात्

ॐ अमृत हस्ताय विद्महे आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात्

धन्वंतरि गायत्री मन्त्र के बारे में

धन्वंतरि गायत्री मंत्र भगवान धन्वंतरि को वंदना है, जो हिंदू परंपरा में आयुर्वेद और उपचार के देवता हैं। उन्हें ब्रह्मांड के समुद्र के मंथन से प्रकट होने वाला वह चिकित्सक माना जाता है, जो अमरत्व और स्वास्थ्य का प्रतीक अमृत कलश धारण करते हैं। इस मंत्र के जाप से शारीरिक और आध्यात्मिक उपचार, बीमारियों से सुरक्षा और समग्र कल्याण में सहायता मिलती है।

अर्थ

मंत्र का अर्थ है: ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधा हस्ताय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात्। इसका अनुवाद है कि हम दैवीय भगवान धन्वंतरि का ध्यान करते हैं, जो अमृत कलश धारण करते हैं, और उनके उपचार और ज्ञान के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

लाभ

  • शारीरिक उपचार और पुनर्प्राप्ति को बढ़ावा देता है
  • जीवन शक्ति और ऊर्जा स्तर बढ़ाता है
  • बीमारियों और रोगों से सुरक्षा करता है
  • प्रतिरक्षा तंत्र और दीर्घायु को मजबूत करता है
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है
  • समग्र स्वास्थ्य और कल्याण का समर्थन करता है

महत्व

धन्वंतरि गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से आयुर्वेदिक अनुष्ठानों, उपचार समारोहों और बीमारी के समय किया जाता है ताकि दैवीय उपचार ऊर्जा को आमंत्रित किया जा सके। यह शरीर, मन और आत्मा को स्वास्थ्य और दीर्घायु की ओर संरेखित करने के लिए एक शक्तिशाली साधन है।

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