दक्षिणामूर्ति गायत्री मन्त्र
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ॐ दक्षिणामूर्ति विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो दिषः प्रचोदयात्
दक्षिणामूर्ति गायत्री मन्त्र के बारे में
दक्षिणामूर्ति गायत्री मंत्र भगवान शिव के गुरु रूप, दक्षिनामूर्ति को समर्पित एक पवित्र मंत्र है जो सर्वोच्च ज्ञान, बुद्धि, और आत्मज्ञान के प्रतीक हैं। उन्हें मौन और आंतरिक मार्गदर्शन के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने वाला परम गुरु माना जाता है। यह मंत्र बौद्धिक विकास, अज्ञानता के नाश और मानसिक स्पष्टता प्रदान करने वाला माना जाता है।
अर्थ
ॐ नमो भगवते दक्षिनामूर्तये मह्यम् मेधां प्रज्ञानं प्रयच्छ स्वाहा। इसका अनुवाद है भगवान दक्षिनामूर्ति को प्रणाम, बुद्धि, ज्ञान, और प्रबुद्ध समझ के लिए आशीर्वाद मांगना।
लाभ
- बौद्धिक और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाता है
- अज्ञानता और मानसिक विक्षेपों को दूर करता है
- एकाग्रता और स्मृति में सुधार करता है
- शिक्षा और रचनात्मकता में बाधाओं को पार करने में सहायता करता है
- आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है
- शांति, स्पष्टता और आंतरिक आलोक लाता है
महत्व
दक्षिणामूर्ति गायत्री मंत्र का विशेष महत्व उन छात्रों, शिक्षक और आध्यात्मिक साधकों के लिए है जो ज्ञान प्राप्त करना और अज्ञानता दूर करना चाहते हैं। यह मंत्र पारंपरिक रूप से गुरुवार को और आध्यात्मिक अध्ययन सत्रों के दौरान जपा जाता है ताकि भगवान दक्षिनामूर्ति की कृपा से मानसिक स्पष्टता और ज्ञान प्राप्त हो सके।