जन्माष्टमी पूजा भगवान श्रीकृष्ण के पावन जन्म का उल्लासपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है। मध्यरात्रि में भक्त उपवास, भजनों और हर्षोल्लासपूर्ण पूजा द्वारा बालरूप श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं, प्रेम, ज्ञान और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में प्रमुख पूजा के साथ मनाया जाता है।
हमारे अनुभवी पंडित आपके लिए शुद्ध जन्माष्टमी पूजा कराते हैं, हर अनुष्ठान श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न होता है।
जन्माष्टमी पूजा के लिए क्या-क्या आवश्यक है?
कृष्णजी की मूर्ति/चित्र, फूल, मोरपंख, पंचामृत, तुलसी पत्र, मक्खन, मिठाइयां, दीपक और धूप।
जन्माष्टमी पूजा कब की जानी चाहिए?
मध्यरात्रि (श्रीकृष्ण जन्म का समय) पर, हालांकि दिन भर प्रार्थना और पूजन किया जाता है।
क्या जन्माष्टमी पर उपवास जरूरी है?
उपवास पारंपरिक है लेकिन अनिवार्य नहीं; अधिकतर भक्त मध्यरात्रि तक उपवास रखते हैं और फिर प्रसाद से उपवास खोलते हैं।
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जन्माष्टमी पूजा भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के अवसर पर मनाई जाने वाली एक प्रमुख हिंदू पूजा है। यह उत्सव पूरे भारत और विश्वभऱ के हिंदुओं द्वारा बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।पूजा में मंत्रोच्चारण, फूलों की अर्पणा, दीप प्रज्वलन और आरती शामिल होती है। भक्तजन भगवान कृष्ण से स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और आधरात्मिक भजन-कीर्तन के साथ पूजा संपन्न होती है।यह पूजा विशेषकर मध्य रात्रि के समय की जाती है, जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दौरान भगवान कृष्ण की मूर्ति स्नान कराई जाती है, रंगीन वस्त्र पहनाए जाते हैं, और विभिन्न प्रसाद अर्पित किए जाते हैं जैसे पंचामृत, माखन-मिश्री, और मिठाइयाँ। लोग रंगोली से अपने घर सजाते हैं और पूरे दिन एवं रात उत्सव मनाते हैं। यह पर्व प्रेम, भक्ति और एकता का प्रतीक है।
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