विवाह पंचमी 2026
तारीख़: १४ दिसंबर २०२६
पूरी तारीख
१४ दिसंबर २०२६ प्रातः ५:३४ बजे – १४ दिसंबर २०२६ शाम ७:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
विवाह पंचमी पूजा
भगवान श्रीराम मंदिरों में माता सीता के दिव्य विवाह की स्मृति में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
१४ दिसंबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – १४ दिसंबर २०२६ दोपहर १२:०० बजे
राम विवाह शोभायात्रा
भव्य शोभायात्रा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में श्रीराम-सीता के दिव्य विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
१४ दिसंबर २०२६ शाम ४:०० बजे – १४ दिसंबर २०२६ शाम ७:०० बजे
परिचय
विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह का पर्व है, जो मर्यादा, भक्ति और धर्म के पवित्र बंधन का प्रतीक माना जाता है। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और रामायण के सबसे शुभ प्रसंगों में से एक का स्मरण कराता है।
अन्य नाम
राम विवाह उत्सव, सीता-राम विवाह पंचमी
पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और स्वयं को पवित्र बनाएं।
- भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- फूल, फल, धूप, हल्दी-कुमकुम चढ़ाकर पूजा करें।
- राम विवाह कथा या रामचरितमानस का पाठ करें और आरती करें।
- प्रसाद और मिठाइयों का वितरण कर विवाह उत्सव का आनंद लें।
अनुष्ठान
- भक्त भगवान श्रीराम और माता सीता की संयुक्त पूजा करते हैं।
- मंदिरों को फूलों और रोशनी से विवाह मंडप के रूप में सजाया जाता है।
- रामायण के विशेष रूप से ‘राम विवाह कांड’ का पाठ किया जाता है।
- मंदिरों में राम-सीता विवाह की झांकियाँ और शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं।
- विवाहित दंपत्ति गृहस्थ जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- अयोध्या और जनकपुर में हर वर्ष भव्य राम विवाह महोत्सव का आयोजन होता है।
- नेपाल के जनकी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में राम-सीता विवाह का मंचन किया जाता है।
- अयोध्या के मंदिरों को फूलों, रोशनी और विवाह थीम से सजाया जाता है।
- मिथिला क्षेत्र में घरों में भी राम-सीता विवाह का प्रतीकात्मक पूजन किया जाता है।
इतिहास
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अयोध्या के श्रीराम का विवाह मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ था। यह पर्व सदियों से अयोध्या और जनकपुर में श्रद्धा और हर्ष के साथ मनाया जाता है। मंदिरों को विवाह मंडप की तरह सजाया जाता है और राम-सीता विवाह का नाट्य रूपांतरण भक्तों के आकर्षण का केंद्र होता है।
अतिरिक्त जानकारी
- विवाह पंचमी अयोध्या और जनकपुर के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक बंधन को जोड़ती है।
- यह हिंदू परंपरा में आदर्श दांपत्य और दिव्य प्रेम का प्रतीक है।
- इस दिन के उत्सव में भाग लेने से वैवाहिक जीवन में सौहार्द और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
