विश्वकर्मा पूजा २०२६
तारीख़: 17 सितंबर २०२६
पूरी तारीख
17 सितंबर २०२६ सुबह ७:१५ बजे – 17 सितंबर २०२६ शाम ४:१५ बजे
मुहूर्त समय भारत में
विश्वकर्मा पूजा समारोह
कारखानों और कार्यशालाओं में कारीगरों और मजदूरों द्वारा विशेष पूजा और अनुष्ठान।
17 सितंबर २०२६ सुबह ७:१५ बजे – 17 सितंबर २०२६ शाम ४:१५ बजे
परिचय
विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें विश्व और विभिन्न पौराणिक हथियारों के निर्माणकर्ता के रूप में पूजा जाता है।
अन्य नाम
विश्वकर्मा जयंती, विश्वकर्मा दिवस
पूजा विधि
- दिन की शुरुआत कार्यस्थलों की सफाई और सजावट से करें।
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
- मंत्रों का जाप करें और भक्ति भाव से आरती करें।
- प्रसाद वितरण और सामूहिक प्रार्थना के साथ समाप्ति करें।
अनुष्ठान
- उपकरणों, मशीनों और कार्यस्थलों की सफाई और सजावट।
- पूजा करना, फूल और मिठाई अर्पित करना।
- विश्वकर्मा मंत्रों और भजनों का जाप।
- कुशलता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए आशीर्वाद लेना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और कर्नाटक में मनाया जाता है।
- कारीगरों, शिल्पकारों और औद्योगिक कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण दिन।
- सृष्टि, शिल्प कौशल और नवाचार के महत्व को दर्शाता है।
इतिहास
यह त्योहार भगवान विश्वकर्मा की ब्रह्मांड के देव इंजीनियर और शिल्पकार के रूप में भूमिका का सम्मान करता है, जो भारत के कई राज्यों और उद्योगों में मनाया जाता है।
अतिरिक्त जानकारी
- यह त्योहार उपकरणों के प्रति सम्मान बढ़ाता है और मानव रचनात्मकता को मान्यता देता है।
- नियोक्ता और कर्मचारी सुरक्षा और उत्पादकता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
- सार्वजनिक और निजी संगठन इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
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