रथ सप्तमी २०२६
तारीख़: 25 जनवरी २०२६
पूरी तारीख
25 जनवरी २०२६ सुबह ५:२८ बजे – 25 जनवरी २०२६ रात ११:०८ बजे
मुहूर्त समय भारत में
रथ सप्तमी पूजा
भगवान सूर्य को समर्पित विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान हिंदू घरों और मंदिरों में किए जाते हैं।
२५ जनवरी २०२६ सुबह ५:२८ बजे – २५ जनवरी २०२६ रात ११:०८ बजे
परिचय
रथ सप्तमी भगवान सूर्य की प्रतीकात्मक रथ यात्रा का उत्सव है, जो ऋतुओं के परिवर्तन और कृषि चक्र की शुरुआत को दर्शाता है।
अन्य नाम
सूर्य जयंती, अचला सप्तमी
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर शरीर पर विशेष पत्ते रखकर स्नान करें।
- दूध को तीन बार उबालकर उफान आने पर भगवान सूर्य को अर्पित करें।
- फूल और धूप के साथ सूर्य पूजा करें।
- घर के बाहर रंगोली रंगों से रथ बनाएं।
- सूर्य मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
अनुष्ठान
- सुबह जल्दी सात अंगों पर पत्ते (एक्का या अर्क) रखकर स्नान।
- दूध को तीन बार उबालकर और उफान आने पर सूर्य को अर्पित करना।
- घर के बाहर रथ (सड़क जीव) का रंगोली बनाना।
- भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए व्रत रखना और आशीर्वाद मांगना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है, विशेषकर दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में।
- परंपरागत सूर्य पूजा और कृषि महत्व के लिए जाना जाता है।
- सूर्य की भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक विकास और कल्याण को बढ़ावा देता है।
इतिहास
हिंदू mythology के अनुसार, सूर्य की गाड़ी सात घोड़ों द्वारा खींची जाती है, जो इंद्रधनुष के सात रंगों और सप्ताह के सात दिनों का प्रतिनिधित्व करती है। रथ सप्तमी उनकी उत्तरी गोलार्ध की ओर यात्रा का प्रतीक है।
अतिरिक्त जानकारी
- रथ सप्तमी फसल के मौसम की प्रतीकात्मक शुरुआत है।
- सात घोड़े प्राकृतिक और आध्यात्मिक अवधारणाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भक्त स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
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