पुत्थांडु २०२६
तारीख़: 14 अप्रैल २०२६
पूरी तारीख
14 अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे – 14 अप्रैल २०२६ शाम ६:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
पंचांग पढ़ना
सुबह जल्दी पंचांग पढ़ना जो आने वाले वर्ष की घटनाओं और भाग्य की भविष्यवाणी करता है।
14 अप्रैल २०२६ सुबह – 14 अप्रैल २०२६ शाम
परिचय
पुत्थांडु तमिल नववर्ष उत्सव है जो मुख्य रूप से तमिलनाडु और विश्वभर के तमिल समुदायों में मनाया जाता है। यह नए आरंभ, पारिवारिक मिलन, प्रार्थना और पारंपरिक भोज का समय है।
अन्य नाम
तमिल नववर्ष, वर्षा पिरप्पु, चितिरै पुत्थांडु
पूजा विधि
- दिन की शुरुआत अनुष्ठानिक स्नान और नए कपड़े पहनकर करें।
- फूल, फल, आम के पत्ते और पान के पत्ते से मंदिर सजाएं।
- नीम के पत्ते, गुड़, आम, केले, और सोना या सिक्के से भरा कानी ट्रे तैयार करें।
- भगवान गणेश और देवी सरस्वती को पूजा अर्पित करें।
- पंचांग पढ़ें और वर्ष के शुभ अवसरों और संभावनाओं को जानें।
अनुष्ठान
- सुबह जल्दी स्नान और घर की सफाई।
- घर को आम के पत्तों और कोलम (रंगोली) से सजाना।
- सुबह सबसे पहले देखने के लिए शुभ सामग्री से भरे ट्रे (कानी) की तैयारी।
- मंदिरों में विशेष प्रार्थना और अभिषेक करना।
- परिवार के साथ मिलकर तमिल पारंपरिक व्यंजनों का भोज।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मुख्य रूप से तमिलनाडु और विश्व भर के तमिल प्रवासियों द्वारा मनाया जाता है।
- तमिल कैलेंडर वर्ष और वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारिवारिक मिलन और पारंपरिक पूजा शामिल हैं।
इतिहास
तमिल परंपरा के अनुसार, पुत्थांडु वह दिन है जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की थी। यह त्योहार नवीनीकरण और समृद्धि की प्राचीन परंपराओं से जुड़ा है।
अतिरिक्त जानकारी
- कानी ट्रे शुभता का प्रतीक है और इसे समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
- पुत्थांडु सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिक नवीनीकरण को बढ़ावा देता है।
- यह नए प्रारंभ और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का दिन है।
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