पोंगल 2026
तारीख़: १४ - १७ जनवरी २०२६
पूरी तारीख
१४ जनवरी २०२६ सुबह ६:५० बजे – १७ जनवरी २०२६ शाम ७:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
भोगी पोंगल
पहला दिन भगवान इंद्र को समर्पित होता है जब पुरानी वस्तुएं जलाकर नई शुरुआत की जाती है।
१४ जनवरी २०२६ प्रातः ४:०० बजे – १४ जनवरी २०२६ रात १०:०० बजे
थाई पोंगल
मुख्य दिन जब सूर्य देव की पूजा के साथ उफनते दूध वाला पोंगल पकाया और अर्पित किया जाता है।
१५ जनवरी २०२६ सुबह ६:३० बजे – १५ जनवरी २०२६ शाम ७:०० बजे
मट्टू पोंगल
इस दिन पशुधन (गाय-बैल) को नहलाकर सजाया जाता है और खेती में योगदान के लिए पूजनीय माना जाता है।
१६ जनवरी २०२६ सुबह ७:०० बजे – १६ जनवरी २०२६ शाम ६:०० बजे
कानुम पोंगल
परिवारजन और मित्र एक-दूसरे के यहाँ जाकर उपहार बाँटते हैं और सामुदायिक भोज के साथ उत्सव समाप्त करते हैं।
१७ जनवरी २०२६ सुबह ८:०० बजे – १७ जनवरी २०२६ शाम ७:०० बजे
परिचय
पोंगल चार दिवसीय तमिल फसल उत्सव है जिसमें प्रकृति, सूर्य और पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। यह तमिल महीने थाई की शुरुआत और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।
अन्य नाम
थाई पोंगल, भोगी, मट्टू पोंगल, कानुम पोंगल
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर घर को साफ करें और कोलम सजाएं।
- सूर्य देव के सामने दिया जलाकर मिट्टी के बर्तन में चावल, दूध और गुड़ रखें।
- मिश्रण उबलने और उफान आने पर समृद्धि की प्रार्थना करें।
- सूर्य देव को तैयार पोंगल, गन्ना और पुष्प अर्पित करें।
- पोंगल प्रसाद परिवार और पड़ोसियों में बांटें।
अनुष्ठान
- सूर्योदय के समय नए मिट्टी के बर्तन में ताज़ा चावल, दूध और गुड़ उबालें।
- ‘पोंगलो पोंगल’ कहते हुए उफनते हुए दूध को समृद्धि का प्रतीक मानें।
- सूर्य देव को पकाया हुआ पोंगल, गन्ना, हल्दी और नारियल अर्पित करें।
- घर के द्वार पर आम पत्तों से तोरण लगाएँ और चावल के आटे से कोलम बनाएं।
- मट्टू पोंगल के दिन गायों की पूजा करें और कृषि समृद्धि की कामना करें।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- तमिलनाडु में यह उत्सव कोलम, पशु शोभायात्रा और सामूहिक भोज के साथ मनाया जाता है।
- आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह मकर संक्रांति पर्व के रूप में समान अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्य देव की पूजा खुले खेतों में सूर्या पोंगल समारोह के रूप में की जाती है।
- गन्ना, हल्दी और गौधन को समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
इतिहास
तमिलनाडु में पोंगल का उत्सव 2000 वर्षों से मनाया जा रहा है, जिसका उल्लेख चोल साम्राज्य के काल से मिलता है। यह कृषि परंपराओं से जुड़ा उत्सव है जो समृद्धि और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है। 'पोंगल' शब्द का अर्थ है ‘उफान आना’, जो सम्पन्नता और कृतज्ञता दर्शाता है।
अतिरिक्त जानकारी
- सौर कैलेंडर के अनुसार तमिल नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक।
- प्रकृति और कृषि समृद्धि के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक पर्व।
- श्रीलंका, सिंगापुर और अन्य देशों में तमिल समाज द्वारा विश्वभर में मनाया जाता है।
