पोहेला बैशाख २०२६
तारीख़: 15 अप्रैल २०२६
पूरी तारीख
15 अप्रैल २०२६ पूरा दिन – 15 अप्रैल २०२६ रात्रि
मुहूर्त समय भारत में
मंगल शोभाजात्रा
एक जीवंत शोभायात्रा जिसमें विशाल मुखौटे, लोक नृत्य और पारंपरिक संगीत शामिल हैं, जो सौभाग्य और बुराई पर विजय का प्रतीक है।
15 अप्रैल २०२६ सुबह – 15 अप्रैल २०२६ शाम
परिचय
पोहेला बैशाख बंगाली कैलेंडर का पहला दिन है, जिसे बंगाली नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार सांस्कृतिक विरासत, पारिवारिक संबंध और फसल के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है।
अन्य नाम
बंगाली नववर्ष, नोबोबोर्शो, नवा बरस
पूजा विधि
- दिन की शुरुआत देवी दुर्गा और अन्य देवताओं की पूजा से करें।
- पारंपरिक बंगाली मिठाई और व्यंजन तैयार करें।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामुदायिक मेले आयोजित करें।
- शुभ श्लोकों का पाठ करें और वरिष्ठ सदस्य छोटे सदस्यों को आशीर्वाद दें।
अनुष्ठान
- नए कपड़े पहनना और घर की सफाई करना।
- परिवार के साथ विशेष व्यंजन जैसे पंता भात और हिल्सा मछली खाना।
- मंगल शोभाजात्रा जैसे सांस्कृतिक परेडों में भाग लेना, जो लोक कला और परंपराओं को दर्शाते हैं।
- 'शुभ नवবর্ষ' की शुभकामनाएं देना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- यह त्योहार पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश, त्रिपुरा और असम के बराक वैली में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
- मंगल शोभाजात्रा के लिए यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है।
- सांस्कृतिक पहचान, फसल और सामुदायिक एकता पर जोर।
इतिहास
बंगाली कैलेंडर का आरंभ सम्राट अकबर ने इस्लामी चंद्र कैलेंडर को सौर कृषि कैलेंडर के साथ संगत करने के लिए किया था, जिससे कर संग्रह और फसल गतिविधियों में सुविधा हुई। यह त्योहार पारंपरिक फसल अनुष्ठानों में निहित है।
अतिरिक्त जानकारी
- पोहेला बैशाख वसंत फसल और नयी शुरुआत का उत्सव है।
- त्योहार बंगाली समुदायों में सांस्कृतिक गर्व और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है।
- त्योहारों के दौरान पारंपरिक कला और शिल्पों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाता है।
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