VividhGyan Logo

पितृ पक्ष २०२६

तारीख़: 26 सितम्बर से 10 अक्टूबर २०२६

पूरी तारीख

26 सितम्बर २०२६ सुबह 10 अक्टूबर २०२६ शाम

मुहूर्त समय भारत में

  • पूर्णिमा श्राद्ध

    पितृ पक्ष का सबसे शुभ दिन जब सभी पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया जाता है।

    26 सितम्बर २०२६ सुबह 26 सितम्बर २०२६ शाम

  • सर्वपितृ अमावस्या

    पितृ पक्ष का अंतिम दिन, जब सभी अज्ञात या छूटे हुए पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया जाता है।

    10 अक्टूबर २०२६ सुबह 10 अक्टूबर २०२६ शाम

परिचय

पितृ पक्ष हिंदू चंद्र कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण समय है, जिसमें श्राद्ध किया जाता है। यह पूर्वजों को सम्मानित करने और उनकी आत्मा की शांति व परिवार के लिए आशीर्वाद सुनिश्चित करने का प्रमुख अनुष्ठान है।

अन्य नाम

श्राद्ध पक्ष, महाराया पक्ष

पूजा विधि

  • अनुष्ठानिक स्नान और पूजा क्षेत्र की सफाई से शुरुआत।
  • चावल के गोले और तिल से पिंड दान तैयार करना।
  • मंत्र जपते हुए पितरों को जल अर्पित करना (तर्पण)।
  • फूल, धूप, और अग्नि के साथ पूजा करना।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना।

अनुष्ठान

  • पूर्वजों के लिए भोजन, जल और प्रार्थना अर्पित करते हुए श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान करना।
  • पूर्वजों के तिथि अनुसार अनुष्ठान करना।
  • दान देना और ब्राह्मणों तथा जरूरतमंदों को भोजन कराना।
  • आशीर्वाद पाने के लिए मंत्रों और धार्मिक ग्रंथों का पाठ।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • पितृ पक्ष पूरे भारत और विश्व के हिंदू समुदायों में मनाया जाता है।
  • यह अवधि पूर्वजों के प्रति विशेष श्रद्धा और धार्मिक अनुष्ठानों से परिपूर्ण होती है।
  • परिवार पूर्वजों की शांति और आशीर्वाद के लिए अनुष्ठान करते हैं।

इतिहास

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं पितृलोक में होती हैं। इस अवधि में श्राद्ध और तर्पण करने से उनके आत्मा को शांति और वंशजों को आशीर्वाद मिलता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • पितृ पक्ष पारिवारिक जड़ें और सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है।
  • माना जाता है कि श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और समृद्धि आती है।
  • यह परंपरा पारिवारिक संबंधों और आध्यात्मिक मूल्यों को मजबूत करती है।
भाषा बदलें: