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पंढरपुर वोरी २०२६ - विठोबा उत्सव

तारीख़: 19 जून से 7 जुलाई २०२६

पूरी तारीख

19 जून २०२६ सुबह ६:०० बजे 7 जुलाई २०२६ रात ९:०० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • पालखी यात्रा की शुरुआत

    भक्त विभिन्न स्थानों से पालखी यात्रा शुरू करने के लिए जल्दी इकट्ठा होते हैं।

    19 जून २०२६ सुबह ६:०० बजे 19 जून २०२६ रात ९:०० बजे

  • पंढरपुर में आगमन

    पालखी यात्रा पंढरपुर में भव्य उत्सव और अनुष्ठानों के साथ समाप्त होती है।

    7 जुलाई २०२६ सुबह ७:०० बजे 7 जुलाई २०२६ रात ९:०० बजे

परिचय

पंढरपुर वोरी एक जीवंत भक्तिमय उत्सव है जो विठोबा भगवान का उत्सव मनाता है, जिसमें महीने भर की पालखी यात्राएं (पालकी जलसे) पंढरपुर में समाप्त होती हैं। यह आस्था, समुदाय और महाराष्ट्र की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

अन्य नाम

पंढरपुर वोरी, विठोबा यात्रा, पाळखी उत्सव

पूजा विधि

  • यात्रा की शुरुआत सुबह की पूजा से करें।
  • चालू यात्रा में मंत्रोच्चार और संगीत के साथ पालखी रखें।
  • मार्ग के प्रमुख मंदिरों में विशेष अनुष्ठान करें।
  • पंढरपुर में भव्य आरती और उत्सव के साथ समाप्त करें।

अनुष्ठान

  • गांवों से होकर पालखी लेकर चलना।
  • मार्ग में अभंग और भजन गाना।
  • पंढरपुर में विठोबा मंदिर में पूजा अर्चना।
  • समुदायिक भंडारा और प्रसाद वितरण।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • महाराष्ट्र की सबसे बड़ी वार्षिक तीर्थयात्राओं में से एक।
  • गांवों और नगरों को जोड़ने वाला गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व।
  • महाराष्ट्र के विशिष्ट भक्ति संगीत और परंपराओं का प्रदर्शन।

इतिहास

उत्सव सदियों पुराना है और विठोबा को समर्पित है, जो भगवान कृष्ण का एक रूप है और मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पूजा जाता है। भक्त पालकी लेकर गांव-गांव जाते हैं, अभंग गाते हैं और अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

अतिरिक्त जानकारी

  • यह उत्सव सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और आध्यात्मिक एकता बढ़ाता है।
  • भक्त भक्ति और प्रायश्चित के रूप में लंबी दूरी पैदल चलते हैं।
  • पंढरपुर वोरी सदियों से निरंतर मनाई जा रही है।
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