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पद्मनाभ जयंती 2026 – अनंत पद्मनाभ द्वादशी

तारीख़: १३ अक्टूबर २०२६

पूरी तारीख

१३ अक्टूबर २०२६ प्रातः ५:४४ बजे १३ अक्टूबर २०२६ शाम ६:२० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • पद्मनाभ द्वादशी पूजा

    भारतभर के विष्णु मंदिरों, विशेष रूप से तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में विशेष पूजन कर मोक्ष और आशीर्वाद की कामना की जाती है।

    १३ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:०० बजे १३ अक्टूबर २०२६ रात ८:०० बजे

  • अनंत सूत्र समारोह

    भक्त ‘अनंत सूत्र’ बाँधते हैं और पद्मनाभ मंत्रों का जाप करते हुए सुरक्षा और पवित्रता की प्रार्थना करते हैं।

    १३ अक्टूबर २०२६ सुबह ९:०० बजे १३ अक्टूबर २०२६ सुबह ११:०० बजे

परिचय

पद्मनाभ जयंती या पद्मनाभ द्वादशी भगवान विष्णु के अनंत पद्मनाभ स्वरूप को समर्पित पावन पर्व है, जो आदिशेष पर शयन करते हैं। यह पापांकुशा एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है और अनंत आशीर्वाद, सुरक्षा एवं मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है।

अन्य नाम

अनंत पद्मनाभ जयंती, पद्मनाभ द्वादशी, अनंत व्रत

पूजा विधि

  • सजाए हुए वेदी पर भगवान पद्मनाभ की प्रतिमा या कलश स्थापित करें।
  • पानी, फूल, अगरबत्ती, हल्दी, चंदन और कपूर से भगवान का आवाहन करें।
  • पंचामृत से अभिषेक कर तुलसी की माला पहनाएँ।
  • शास्त्रों में वर्णित अनंत पद्मनाभ व्रत कथा का पाठ करें।
  • आरती कर नैवेद्य वितरण करें और दान-पुण्य करें।

अनुष्ठान

  • दिन की शुरुआत पवित्र स्नान और व्रत के साथ करें तथा स्वच्छ पारंपरिक वस्त्र पहनें।
  • भगवान पद्मनाभ की आदिशेष पर शयन करती हुई प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • फलों, मिठाइयों, सुपारी-पान और पुष्पों का भोग तैयार करें।
  • पुरुष दाएँ हाथ में और महिलाएँ बाएँ हाथ में 14 गांठों वाला ‘अनंत सूत्र’ बाँधें जो 14 लोकों का प्रतीक है।
  • विष्णु सहस्रनाम, अनंत अष्टोत्तर और पद्मनाभ कथा का पाठ करें जिससे दिव्य सुरक्षा और सुख प्राप्त हो।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में भव्य पूजा और ‘स्वामियार पुष्पांजली’ अर्पण किया जाता है।
  • दक्षिण भारत के मंदिरों में भगवान अनंत पद्मनाभस्वामी की षोडशोपचार पूजा और अनंत सूत्र व्रत का आयोजन होता है।
  • कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में यह व्रत स्थिरता और समृद्धि की प्राप्ति हेतु रखा जाता है।
  • परिवारजन ब्राह्मणों और गरीबों को अन्न, वस्त्र एवं दक्षिणा दान करते हैं।

इतिहास

वराह पुराण के अनुसार पद्मनाभ द्वादशी व्रत का पालन करने से भक्त को सांसारिक सुख के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है जो क्षीरसागर में अनंत शेष पर निवास करते हैं। केरल में उन्हें श्री पद्मनाभस्वामी के रूप में पूजे जाने की परंपरा है और तिरुवनंतपुरम के प्रसिद्ध मंदिर में विशेष विधियाँ संपन्न होती हैं। भक्त इस व्रत का पालन पाप मुक्ति, शांति और अनंत समृद्धि के लिए करते हैं।

अतिरिक्त जानकारी

  • पद्मनाभ भगवान विष्णु के उस अनंत स्वरूप का प्रतीक हैं जो सृष्टि का पालन करते हैं।
  • इस व्रत के पालन से बाधाएँ दूर होती हैं, शांति और दिव्य सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
  • केरल के ‘लक्षदीपम’ उत्सव में एक लाख दीप जलाए जाते हैं जो अनंत प्रकाश और भक्ति का प्रतीक है।
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