ओणम् २०२६ – केरल का फसल-उत्सव और महाराज महाबली की लौटती यात्रा
तारीख़: २६ अगस्त २०२६
पूरी तारीख
२५ अगस्त २०२६ रात्रि १०:५१ बजे (थिरुओणम् नक्षत्र आरंभ) – २६ अगस्त २०२६ रात्रि १२:४८ बजे (नक्षत्र समाप्त)
मुहूर्त समय भारत में
अट्ठाचमयम भव्य जुलूस
२५ अगस्त २०२६ को कोच्चि-निकट त्रिपुनिथुरा में अट्ठाचमयम जुलूस पादयात्रा, हाथियों, संगीत व लोक-नाट्य-कर्मों के साथ ओणम्-उत्सव का आरंभ करती है।
२५ अगस्त २०२६ दोपहर (अनुमानित) – २५ अगस्त २०२६ शाम
ओणम् साद्या एवं पारिवारिक भोज
२६ अगस्त २०२६ को परिवार एकत्र होते हैं और केले की पत्तियों पर ओणम् साद्या-भोजन साझा करते हैं, जिसमें पायसम, अवियल,ोलन आदि कई परंपरागत व्यंजन शामिल होते हैं।
२६ अगस्त २०२६ दोपहर – २६ अगस्त २०२६ दोपहर / शाम शुरू
परिचय
ओणम् एक जीवंत और समावेशी दस-दिवसीय फसल-उत्सव है, जो मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है। इसमें महाराज महाबली की प्रतिवर्षीय यात्रा एवं भूमि की समृद्धि का स्मरण होता है। यह लोगों को विभिन्न समुदायों में एक-साथ लाता है, भव्य चल-चित्र, दावत और हर्षोल्लास की परंपराओं से भरा हुआ है।
अन्य नाम
थिरुओणम्, ओणम् उत्सव, ओणम् साद्या दिवस
पूजा विधि
- आठम-दिवस को आँगन व द्वार को स्वच्छ करें; पीले फूलों से पुक्कलम् का पहला सूरूप बनाएं।
- थिरुओणम् दिवस पर घर के सामने वामन/महाराज महाबली की प्रतिमा या छवि स्थापित करें।
- दीप (निलाविलक्कु), ताज़ा फूल-फल एवं इस मौसमी धान की पहली बालियाँ मंदिर या पूजा-स्थान में अर्पित करें।
- दोपहर में ओणम् साद्या तैयार करें; परिवार व समुदाय केले की पत्तियों पर एक-साथ बैठते हैं।
- दिन के अंत में घर के चारों ओर दीप जलाएं, पड़ोसियों से मिलें और रात में लोक-खेल-कूद में भाग लें।
अनुष्ठान
- घरों व मंदिरों के सामने भव्य पुक्कलम् (पुष्पमंडल) बनाना।
- केरल की नदियों में वल्लम काली (साँप-नाव दौड़) में भाग लेना।
- नए पारंपरिक वस्त्र (ओणाक्कोड़ी) पहनना और नई चीजें खरीदना।
- ओणम् साद्या-भोजन देना एवं मिठाई-पत्तल पर फल-फूल सहित बड़े औपचारिक शाकाहारी भोज का आनंद लेना।
- परंपरागत खेल-कूद, लोक-नृत्यों (कैकोत्तिक्काली, थिरुवथिरिक्कली) और पुलिकाली (बाघ-नृत्य) करना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- ओणम् मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है लेकिन मलेयाली समुदाय विश्वभर में पुक्कलम्-निर्माण, साद्या-भोजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ इसे मनाते हैं।
- वल्लम काली-नाव-दौड़ जैसे प्रसिद्ध नेहरू ट्रॉफी सर्प-नाव दौड़ अलाप्पुझा, कोट्टायम आदि जिलों में बड़े पैमाने पर होती हैं।
- शहरों में बड़े-बड़े सजावट, सार्वजनिक सांस्कृतिक-प्रदर्शन व लाइट-डिस्प्ले होते हैं; अनेक गैर-मलेयाली निवासियों भी उत्सव में शामिल होते हैं।
इतिहास
कथा अनुसार, महाराज महाबली ने केरल में समृद्धि व समानता से शासन किया था। तब विष्णु के अवतार वामन ने उनसे तीन पग भूमि मांगी और अंततः उन्हें पाताल लोक भेजा, पर उन्हें प्रतिवर्ष अपने लोगों से मिलने की अनुमति दी गई। ओणम् उस स्वागत-दिवस को दर्शाता है। यह त्योहार चिंगम मास एवं धान-फसल के समय से भी जुड़ा हुआ है।
अतिरिक्त जानकारी
- कुछ परंपराओं में ओणम् को मलयालम नववर्ष भी माना जाता है तथा यह मॉनसून-काल के अंत व कटाई-समय का संकेत है।
- प्रचलित कहावत ‘कानम वित्तुं ओणम् उन्ननम्’ का अर्थ है − अगर जरूरत पड़े तो संपत्ति बेचकर भी ओणम्-दावत में भाग लेना चाहिए – जो साद्या-भोजन के महत्व को दर्शाती है।
- हिंदू मिथकों में निहित होने के बावजूद, केरल में यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों द्वारा एकता व समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
