नवरेह २०२६
तारीख़: 19 मार्च २०२६
पूरी तारीख
19 मार्च २०२६ सुबह – 19 मार्च २०२६ शाम
मुहूर्त समय भारत में
नवरेह थाल की तैयारी
आने वाले वर्ष के लिए समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक शुभ सामग्री की तैयारी।
19 मार्च २०२६ सुबह – 19 मार्च २०२६ शाम
परिचय
नवरेह कश्मीरी हिंदू नववर्ष है, जो देवी शारिका के प्रति श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह नए वर्ष और कश्मीरी पंडितों के लिए सप्तऋषि युग की शुरुआत का प्रतीक है।
अन्य नाम
कश्मीरी नववर्ष, चैत्र नवरात्रि दिवस
पूजा विधि
- अनुष्ठानिक स्नान और घर की शुद्धि से शुरुआत करें।
- नवरेह थाल को पवित्र दर्पण के सामने रखें और पहली नजर में देखें।
- मंत्र जाप करें और फूल एवं धूप अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण और सामुदायिक प्रार्थना करें।
अनुष्ठान
- नवरेह थाल की तैयारी जिसमें चावल, दही, अखरोट और पवित्र शास्त्र शामिल हैं।
- देवी शारिका और पूर्वजों को प्रार्थना अर्पित करना।
- घर की सफाई और फूलों तथा रंगों से सजावट करना।
- समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मुख्य रूप से कश्मीरी पंडितों द्वारा नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
- देवी शारिका और पूर्वजों के प्रति धार्मिक भक्ति के साथ उत्सव।
- कश्मीर में समय के नवीनीकरण और आध्यात्मिक शुरुआत का प्रतीक।
इतिहास
यह त्योहार देवी शारिका की उपस्थिति से जुड़ा है, जो शारिका पर्वत में निवास करती हैं। नवरेह के दिन सूर्य की पहली किरने देवी का सम्मान करती हैं, जो नए ब्रह्मांडीय चक्र की शुरुआत को दर्शाती हैं।
अतिरिक्त जानकारी
- नवरेह चैत्र नवरात्रि के पहले दिन होता है, जो व्यापक हिंदू नववर्ष उत्सवों से जुड़ा है।
- यह त्योहार कश्मीरी हिंदुओं के बीच सांस्कृतिक पहचान और सामुदायिक संबंधों को मजबूत करता है।
- नवरेह के अनोखे रीति-रिवाज इसे भारत के अन्य नववर्ष त्योहारों से अलग बनाते हैं।
भाषा बदलें:
