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मैसूर दसरह २०२६ – कर्नाटक का शाही विजय व सांस्कृतिक उत्सव

तारीख़: ११ अक्टूबर – २१ अक्टूबर २०२६

पूरी तारीख

११ अक्टूबर २०२६ सुबह (उद्घाटन) २१ अक्टूबर २०२६ शाम (जम्बू सवारी एवं मशाल यात्रा)

मुहूर्त समय भारत में

  • जम्बू सवारी – हाथी भव्य जुलूस

    २१ अक्टूबर २०२६ (विजयदशमी) को मैसूर पैलेस से बनिमंतप तक प्रसिद्ध जम्बू सवारी जुलूस निकलेगा जिसमें स्वर्ण हौदा हाथी, झांकियाँ, लोक-नृत्य, संगीत-बैंड एवं ऊँट शामिल होंगे और शाम में मशाल यात्रा के साथ समाप्त होगा।

    २१ अक्टूबर २०२६ दोपहर लगभग १:१५ बजे २१ अक्टूबर २०२६ शाम लगभग ७:३० बजे

  • पैलेस प्रकाश एवं सांस्कृतिक रातें

    दसरह अवधि के हर शाम मैसूर पैलेस हजारों बल्ब से प्रकाशित होगा एवं पैलेस ग्राउंड तथा सार्वजनिक स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

    ११ अक्टूबर २०२६ शाम ७:०० बजे २१ अक्टूबर २०२६ रात १०:३० बजे

परिचय

मैसूरु दसरह कर्नाटक के मैसूरु (मैसूर) में मनाया जाने वाला दस-दिवसीय शाही त्योहार है। यह भारत के सबसे समृद्ध सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है, जिसमें जुलूस, प्रकाश, संगीत, नृत्य, शाही परंपराएँ और सार्वजनिक उत्सव शामिल हैं। इसे स्थानीय रूप से ‘नाडा हब्बा’ कहा जाता है और विजयदशमी को “जम्बू सवारी” हाथी जुलूस के साथ समापन होता है। :contentReference[oaicite:2]{index=2}

अन्य नाम

नाडा हब्बा, मैसूरु दसरह, जम्बू सवारी महोत्सव

पूजा विधि

  • पहले दिन चामुंडी पहाड़ी स्थित मंदिर में देवी चामुंडेश्वरी की आराधना की जाती है।
  • नवमी (महनवमी) के दिन आयुध पूजा होती है और शाही तलवार जनता के समक्ष प्रदर्शित की जाती है।
  • विजयदशमी को जुलूस के बाद बनिमंतप में बनि-वृक्ष की पूजा विजय के प्रतीक रूप में की जाती है।
  • पूरे त्योहार के दौरान भक्त पैलेस और मंदिरों में दर्शन करते हैं, राजपरिवार पूजा-अनुष्ठानों में शामिल होता है और सार्वजनिक दरबार एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।

अनुष्ठान

  • प्रकाशित महल: मैसूर पैलेस प्रत्येक शाम लगभग १ लाख बल्ब से जगमगाता है।
  • शाही दरबार: वोडेयार राजपरिवार पैलेस में विशेष दरबार आयोजित करता है जहाँ ‘पट्टदा कट्टी’ (शाही तलवार) प्रदर्शित की जाती है।
  • जम्बू सवारी: अंतिम दिन एक भव्य हाथी पर देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति स्वर्ण हौदा में सवार कर पैलेस से बनिमंतप तक जुलूस निकाला जाता है।
  • मशाल यात्रा (पंजिना कवयत्तु): विजयदशमी की शाम को मशालों के साथ परेड आयोजित होती है।
  • दस दिनों के दौरान प्रतिदिन सांगीतिक-नृत्यात्मक कार्यक्रम, कुश्ती मुकाबले व प्रदर्शनियाँ आयोजित होती हैं।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • मैसूर दसरह कर्नाटक का राज्य-उत्सव (नाडा हब्बा) है, जिसे शाही विरासत, भारी जन-भागीदारी व पर्यटक-आकर्षण के रूप में मनाया जाता है।
  • मुख्य आयोजन मैसूरु में होते हैं, परंतु पूरे राज्य में प्रदर्शन-वर्ष, लोक-कला व पारंपरिक कुश्ती-मुकाबले आयोजित होते हैं।
  • यह प्रतिस्पर्धा हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है जिनकी यात्रा विशेष रूप से जम्बू सवारी के आसपास तय होती है।

इतिहास

मैसूर दसरह की परंपरा वोडेयार वंश और विजयनगर साम्राज्य की विरासत तक जाती है। किंवदंती अनुसार, यह त्योहार देवी चामुंडेश्वरी की राक्षस महिषासुर पर विजय का स्मरण है — उसी घटना से मैसूरु का नाम जुड़ा। शाही दरबार (दुर्बार), शस्त्र पूजा, सजावटी हाथी और सार्वजनिक उत्सव शताब्दियों से चले आ रहे हैं। :contentReference[oaicite:4]{index=4}

अतिरिक्त जानकारी

  • अन्य दसरह उत्सवों (जो अक्सर एक-दिवसीय होते हैं) के विपरीत, मैसूर दसरह दस दिनों तक चलता है और विजयदशमी पर अपने चरम-बिंदु को पहुँचता है।
  • ‘जम्बू सवारी’ शब्द ‘जुम्बी’ (बन्नि वृक्ष) व ‘सवारी’ (सवारी) से लिया गया है, जो बनिमंतप की बनि-वृक्ष पूजा की परंपरा से जुड़ा है।
  • मैसूर में सालाना दसरह प्रदर्शनी (दसरह मेला) उत्सव के दौरान शुरू होती है और कई सप्ताह तक चलती है, जिसमें हस्त-शिल्प, भोजन स्टॉल व मनोरंजन शामिल होते हैं।
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