मकर संक्रांति 2026
तारीख़: १४ जनवरी २०२६
पूरी तारीख
१४ जनवरी २०२६ सुबह ९:०३ बजे – १४ जनवरी २०२६ शाम ५:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
मकर संक्रांति संधि क्षण
वह संधि क्षण जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
१४ जनवरी २०२६ सुबह ९:०३ बजे – १४ जनवरी २०२६ सुबह ९:०३ बजे
महापुण्य काल
सूर्य पूजा और पवित्र स्नान के लिए अत्यंत शुभ समय।
१४ जनवरी २०२६ सुबह ९:०३ बजे – १४ जनवरी २०२६ सुबह १०:३८ बजे
पुण्य काल मुहूर्त
मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा के लिए शुभ काल।
१४ जनवरी २०२६ दोपहर ३:१३ बजे – १४ जनवरी २०२६ शाम ४:५८ बजे
परिचय
मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व है, जो लंबे और उजले दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। इसे भारत में पोंगल, उत्तरायण और माघी जैसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।
अन्य नाम
माघी, उत्तरायन, पोंगल, तिल संक्रांति
पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व स्नान करके शुद्ध हों।
- पूर्व दिशा की ओर सूर्य देव की मूर्ति या प्रतीकस्थापन करें।
- महापुण्य काल में तिल, जल और फल अर्पित करें।
- 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
- ‘तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला’ बोलकर तिलगुड़ मिठाई बांटें।
- स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना के साथ पूजा समाप्त करें।
अनुष्ठान
- प्रातःकाल गंगा, यमुना या गोदावरी जैसे पवित्र नदियों में स्नान करें।
- सूर्य देव को तिल-गुड़ का प्रसाद अर्पित करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को अर्घ्य दें और मंत्रों का जाप करें।
- खुले आसमान में पतंग उड़ाकर हर्ष और आभार व्यक्त करें।
- तिल-गुड़ के लड्डू और मिठाई बनाकर बांटें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान दें।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- गुजरात में उत्तरायन के रूप में पतंग उत्सव के साथ मनाया जाता है।
- तमिलनाडु में यह चार दिवसीय पोंगल पर्व से जुड़ा है।
- पंजाब और हरियाणा में माघी के रूप में अलाव और भोज के साथ मनाया जाता है।
- महाराष्ट्र में ‘तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला’ बोलकर तिलगुड़ मिठाई बांटी जाती है।
इतिहास
मकर संक्रांति प्राचीन वैदिक परंपराओं में सूर्य के उत्तरायण गमन से जुड़ा पर्व है। यह सौर कैलेंडर पर आधारित विरल हिंदू त्योहारों में से एक है, जो समृद्धि, आध्यात्मिक जागृति और कृषि संपन्नता का संदेश देता है।
अतिरिक्त जानकारी
- सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक।
- कृतज्ञता, आशा और नए आरंभ का संदेश देता है।
- दान-पुण्य और सामाजिक एकता का पर्व।
