माघ पूर्णिमा २०२६
तारीख़: 1 फरवरी २०२६
पूरी तारीख
1 फरवरी २०२६ सुबह ५:५३ बजे – 2 फरवरी २०२६ सुबह ३:३७ बजे
मुहूर्त समय भारत में
माघ पूर्णिमा पूजा
मंदिरों और पवित्र स्थलों पर विशेष अनुष्ठान और प्रार्थना।
1 फरवरी २०२६ सुबह ६:०० बजे – 1 फरवरी २०२६ रात्रि १०:०० बजे
परिचय
माघ पूर्णिमा को आध्यात्मिक स्नान, दान और पूजा हेतु शुभ दिन माना जाता है, जो पवित्र नदियों पर मेलों और तीर्थयात्राओं के साथ मनाई जाती है।
अन्य नाम
माघी पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा
पूजा विधि
- दिन की शुरुआत अनुष्ठानिक स्नान और शुद्धि से करें।
- देवताओं को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- प्रसाद वितरण और सामूहिक प्रार्थना के साथ समापन करें।
अनुष्ठान
- पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी में पवित्र स्नान।
- दान करना और गरीबों को भोजन करवाना।
- भगवान विष्णु और हनुमान को समर्पित प्रार्थना और मंत्रों का जाप।
- आध्यात्मिक प्रवचन और सामुदायिक उत्सवों में भाग लेना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- उत्तर भारत में त्रिवेणी संगम और अन्य पवित्र नदियों पर प्रमुख उत्सव।
- भक्त पवित्र स्नान, प्रार्थना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एकत्रित होते हैं।
- शुद्धि, दान और आध्यात्मिक उत्थान पर जोर।
इतिहास
यह त्योहार माघ महीने की पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है और प्राचीन भक्ति, दान और शुद्धिकरण की प्रथाओं से जुड़ा है।
अतिरिक्त जानकारी
- माघ पूर्णिमा माघ महीने के दौरान पवित्र स्नान के लिए अंतिम दिन माना जाता है।
- यह प्रत्येक बारह वर्ष में होने वाले कुंभ मेला के साथ मेल खाता है।
- विश्वासी मानते हैं कि पवित्र स्नान और प्रार्थनाएं पापों को धोती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
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