माघ बिहु उत्सव २०२६
तारीख़: १५ जनवरी २०२६
पूरी तारीख
१५ जनवरी २०२६ सुबह ६:०० बजे – १५ जनवरी २०२६ रात्रि १०:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
आग और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
बड़े आग जलाना और पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रदर्शन आयोजित करना।
१५ जनवरी २०२६ सुबह ६:०० बजे – १५ जनवरी २०२६ रात्रि १०:०० बजे
परिचय
माघ बिहु, जिसे भोगाली बिहु भी कहा जाता है, असम में मनाया जाने वाला फसल उत्सव है, जो फसल कटाई के अंत का प्रतीक है। इसमें अग्नि, सामुदायिक भोज, पारंपरिक खेल और सांस्कृतिक प्रदर्शन होते हैं।
अन्य नाम
भोगाली बिहु, माघर डोमहि
अनुष्ठान
- आग जलाना (मेगी) से नकारात्मकता को दूर करने और समृद्धि का स्वागत करने के लिए।
- पिथा, लौरू और अन्य मिठाइयों जैसे पारंपरिक खाद्य तैयार करना और साझा करना।
- बांबू और पत्तियों से अस्थायी झोपड़ियाँ (‘भेलगहर’) बनाना और जलाना।
- सांस्कृतिक खेलों में भाग लेना जैसे टेकेली भोंगा (बर्तन तोड़ना) और कुछ क्षेत्रों में बैलगाड़ियों की लड़ाई।
- ‘अग्नि’ (आग) को प्रार्थना देना ताकि अच्छी फसल के लिए आशीर्वाद प्राप्त हो।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- असम में व्यापक रूप से मनाया जाता है, जहां समुदाय का जीवंत हिस्सा होता है।
- पारंपरिक प्रथाओं में भेलघर की निर्माण और जलाना, स्थानीय व्यंजन पकाना, और सांस्कृतिक नृत्य करना शामिल है।
- यह उत्सव स्थानीय समुदायों में एकता, कृतज्ञता और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
इतिहास
हजारों वर्षों से प्राचीन, माघ बिहु सर्दियों की फसलों के अंत का प्रतीक है और कृषि की समृद्धि का जश्न मनाता है। यह परंपराओं में धन्यवाद देने और खुशहाली की कामना का त्योहार है।
अतिरिक्त जानकारी
- माघ बिहु संक्रांति त्योहार के साथ होता है, जो मौसम और कृषि चक्र के परिवर्तन का जश्न मनाता है।
- यह नव शुरुआत, समुदाय के बंधन और प्रकृति के उपहार का धन्यवाद करने का समय है।
- हाल के समय में, यह सांस्कृतिक पहचान और क्षेत्रीय गर्व का भी जश्न है।
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