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लठमार होली 2026 (बरसाना और नंदगांव)

तारीख़: २५ – २७ फरवरी २०२६

पूरी तारीख

२५ फरवरी २०२६ सुबह १०:०० बजे २७ फरवरी २०२६ शाम ६:०० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • बरसाना लठमार होली

    २५–२६ फरवरी २०२६ को बरसाना में आयोजित जहां राधारानी की सखियाँ कृष्ण की लीलाओं को पुनः जीवित करती हैं।

    २५ फरवरी २०२६ सुबह १०:०० बजे २६ फरवरी २०२६ शाम ६:०० बजे

  • नंदगांव लठमार होली

    २७ फरवरी २०२६ को बरसाना के बाद नंदगांव में लठमार होली का आयोजन होता है जिसमें भक्तिमय संगीत के साथ राधा-कृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन होता है।

    २७ फरवरी २०२६ सुबह १०:०० बजे २७ फरवरी २०२६ शाम ६:०० बजे

परिचय

लठमार होली भारत का सबसे अनोखा होली उत्सव है जो बरसाना और नंदगांव में मनाया जाता है — यह राधा और कृष्ण की प्रेमलीला को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं प्रेमपूर्वक लाठियों से पुरुषों को छेड़ती हैं और पुरुष ढाल लेकर बचाव करते हैं, जो कृष्ण के बरसाना आगमन की लीला का पुनः अभिनय है।

अन्य नाम

लाठी वाली होली, बरसाना होली, नंदगांव होली

पूजा विधि

  • दिन की शुरुआत स्नान कर राधा-कृष्ण की पूजा से करें।
  • गुलाल लगाकर राधा-कृष्ण के विग्रह का पूजन करें।
  • ‘चलो बरसाने आयो री’ और ‘रंग बरसे बृज की गलियों में’ जैसे लोकगीत गाएं।
  • हँसी-खुशी और श्रद्धा के साथ लठमार शोभायात्रा में भाग लें।
  • मिठाई अर्पित कर राधा रानी मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करें।

अनुष्ठान

  • बरसाना की महिलाएं नंदगांव के पुरुषों का स्वागत लाठियों से मज़ाकिया रूप में करती हैं और पुरुष ढाल से रक्षा करते हैं।
  • राधा-कृष्ण को समर्पित भजन और लोकगीत पूरे गांव में गूंजते हैं।
  • गाँव गुलाल, फूलों और झंडों से सजाया जाता है।
  • गुजिया, ठंडाई और अन्य प्रसाद का वितरण किया जाता है।
  • अंत में राधा रानी मंदिर में सामूहिक आरती और मंगल प्रार्थना होती है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • राधा का नगर बरसाना राधा रानी मंदिर और रंगीली गली में भव्य आयोजन करता है।
  • नंदगांव में नंद भवन मंदिर में भक्त कृष्ण की वापसी की लीला के साथ होली खेलते हैं।
  • बृज क्षेत्र संगीत, रंगों, नृत्य और पारंपरिक मिठाइयों से जीवंत हो उठता है।
  • देश-विदेश से हजारों भक्त बृज होली यात्रा का हिस्सा बनते हैं।

इतिहास

लोक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण नंदगांव से बरसाना आए और राधा व सखियों के साथ होली खेलने लगे। राधा ने मज़ाक में उन्हें लाठियों से भगाया। तब से यह परंपरा प्रेम और भक्ति की अनोखी अभिव्यक्ति के रूप में जीवित है। यह उत्सव मथुरा-वृंदावन की मुख्य होली से पहले मनाया जाता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • लठमार होली राधा-कृष्ण के प्रेम, समानता और हास्यभाव का प्रतीक है।
  • यह बृज क्षेत्र में होली की सप्ताह भर चलने वाली श्रृंखला की शुरुआत करता है।
  • भारी भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था के कारण यात्रियों को अग्रिम रूप से बरसाना पहुँचना चाहिए।
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